नई दिल्ली। ब्रिटेन के आम चुनाव में बड़ी जीत के साथ लेबर पार्टी सरकार बनाने जा रही है। समय के साथ लेबर पार्टी ने भारत को लेकर अपनी नीतियों में बदलाव किया है। लेकिन यह तथ्य है कि बीते वर्षों में पार्टी की नीतियां भारत को असहज करने वाली रही हैं। खास कर कश्मीर के मसले पर। आइये जानते हैं उस घटनाक्रम के बारे में जब भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल ने ब्रिटेन को तीसरे दर्जे की ताकत बताया था।
कूटनीतिक आपदा साबित हुई क्वीन एलिजाबेथ की यात्रा
वर्ष था 1997, भारत अपनी आजादी की 50 वीं वर्षगांठ मना रहा था। ब्रिटेन में कंजरवेटिव पार्टी की सरकार थी। ब्रिटेन और भारत ने इस समारोह के लिए ब्रिटेन की महारानी क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय की यात्रा की योजना बनाई। लेकिन क्वीन एलिजाबेथ की भारत यात्रा एक कूटनीतिक आपदा साबित हुई। कश्मीर पर मध्यस्थता के प्रस्ताव से भड़का भारत अक्टूबर में क्वीन एलिजाबेथ और उनके पति प्रिंस फिलिप भारत पहुंचने से पहले पाकिस्तान में रुके।
राजकीय भोज में उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान को पाकिस्तान पर अपने मतभेदों को सुलझाने की जरूरत है। उनके साथ ब्रिटेन के विदेश मंत्री राबिन कुक भी थे। उन्होंने पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ निजी बातचीत में कश्मीर का मुद्दा सुलझाने के लिए मध्यस्थता की पेशकश कर दी। इससे माहौल ज्यादा ही खराब हो गया।
कश्मीर पर बयानबाजी से भारत भड़क गया था
भारत में उनके इस प्रस्ताव की भर्त्सना की गई और प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल ने ब्रिटेन को तीसरे दर्जे की ताकत बताया। कश्मीर पर बयानबाजी से भारत भड़क गया था और क्वीन एलिजाबेथ की भारत यात्रा एक औपचारिक यात्रा बन कर रह गई। जाहिर है कि भारत की तरफ से किसी तरह की गर्मजोशी नहीं दिखाई गई।