राजस्थान में 2024 के लोकसभा चुनावों में इस बार बीजेपी 25 की 25 सीट जीतने की हैट्रिक लगाने से चूक गई. राजस्थान में इस बार बीजेपी महज 14 सीटों पर सिमट गई. वहीं कांग्रेस और इंडिया गठबंधन से राजस्थान की 11 सीटों पर कब्जा जमा लिया. इन 11 सीटों के राजस्थान ही नहीं देश की सबसे चर्चित सीट बाड़मेर -जैसलमेर सीट पर भी कांग्रेस के उम्मेदाराम बेनीवाल ने 1 लाख 4 हजार 176 वोटों से जीत दर्ज की. वहीं निर्दलीय प्रत्याशी 5 लाख 86 हजार 500 वोटों के साथ दूसरे और बीजेपी के कैलाश चौधरी 2 लाख 86 हजार 733 मतों के साथ तीसरे नंबर पर रहे. 2019 के लोकसभा चुनावों में 3 लाख 23 हजार वोटों से जीतकर मोदी सरकार में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री बनने वाले बीजेपी के कैलाश चौधरी इस बार के चुनावों में 3 लाख का आंकड़ा भी नहीं छू पाए. कैलाश चौधरी की हार का सबसे बड़ा कारण निर्दलीय प्रत्याशी रविंद्र सिंह भाटी रहे. भाटी के चुनाव लड़ने से बीजेपी का मूल वोटबैंक भाटी की ओर शिफ्ट हो गया. यही सबसे बड़ा कारण रहा है बीजेपी के मंत्री को इतनी बड़ी हार का सामना करना पड़ा. भाटी के चुनाव लड़ने के अलावा भी बीजेपी के कैलाश चौधरी की हार होने के कई कारण है. कैलाश चौधरी ने मंत्री रहते जो जनता से वादे किए. इन वादों को कैलाश चौधरी धरातल पर उतार नहीं पाए. चाहे भाभर रेलवे लाइन हो या सूखा बंदरगाह. ऐसा कोई बड़ा काम कैलाश चौधरी केंद्र की मोदी सरकार से नहीं करवा पाए. जिससे कि जनता में उनकी गहरी पैठ बने. हालांकि, इन सबका करना मंत्री कैलाश चौधरी उस वक्त की गहलोत सरकार को बताते नजर आए थे. कैलाश चौधरी का कहना था कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने के चलते उनके क्षेत्र में काम नहीं हो पा रहे हैं. बाड़मेर में एयरपोर्ट की स्वीकृति मिल चुकी थी. लेकिन, गहलोत सरकार ने जमीन उपलब्ध नहीं करवाई. जिससे एयरपोर्ट का काम अटक गया. बाजरा अनुसंधान केंद्र को भी 3 साल अटकाए रखा.
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