केंद्र में नई सरकार के गठन के लिए एनडीए सहयोगियों का समर्थन जुटाने के बाद भाजपा ने गठबंधन सरकार के फॉर्मूले पर गुरुवार को मैराथन मंथन किया। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह, संगठन महामंत्री बीएल संतोष सहित कई केंद्रीय मंत्रियों की सुबह 10.30 बजे से लेकर रात तक कई दौर की बैठक चली। इस बैठक में भाजपा और सहयोगियों के बीच मंत्रिपदों के बंटवारे से लेकर शपथ की तैयारी तक पर चर्चा हुई। बताया जा रहा है कि ‘टॉप-4’ यानी सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) के अंतर्गत आने वाले गृह, रक्षा, वित्त और विदेश मंत्रालयों को भाजपा अपने पार रखेगी। अन्य मंत्रालयों पर ही सहयोगी दलों से समझौता किया जा सकता है। संसद भवन के सेंट्रल हॉल में शुक्रवार को एनडीए संसदीय दल की बैठक में गठबंधन के नेता के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर औपचारिक मुहर लगेगी। इसके बाद सभी दलों के शीर्ष नेता राष्ट्रपति भवन जाकर सरकार बनाने का दावा पेश करेगा। पहले 8 जून को शपथ की संभावना थी, लेकिन बताया जा रहा है कि 9 जून को सायं 6 बजे राष्ट्रपति भवन में ही आयोजन की तैयारी है। इस बीच, चुनाव आयोग ने निर्वाचित सांसदों की सूची गुरुवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को सौंप दी। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार, चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और डॉ. सुखबीर सिंह संधू ने राष्ट्रपति भवन जाकर यह सूची उन्हें सौंपी। इसी के साथ देश में 16 मार्च को चुनाव की घोषणा के साथ लागू आदर्श आचार संहिता समाप्त हो गई। टीडीपी सूत्रों का कहना है कि उनकी पार्टी चार सांसदों पर एक मंत्री पद चाहती है। 16 सांसदों वाली टीडीपी को इस हिसाब से चार मंत्री पद चाहिए। टीडीपी एक कैबिनेट और तीन राज्य मंत्री पद पर दावा ठोक रही है। इस फॉर्मूले पर देखें तो नीतीश कुमार तीन और चिराग पासवान की एलजेपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना का दो-दो मंत्री पद पर दावा बन रहा है। हालांकि, भाजपा इस फॉर्मूले से सहमत नहीं है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा सभी प्रमुख सहयोगियों को दो-दो मंत्री पद देना चाहती है, जिनमें एक कैबिनेट और एक राज्य मंत्री का पद होगा। नीतीश कुमार का मुख्य फोकस रेल मंत्रालय पर है तो टीडीपी कृषि मंत्रालय चाहती है। खुद को किसानों की पार्टी का हवाला देते हुए जयंत चौधरी की उनकी नजर कृषि मंत्रालय पर है। लेकिन, दो सांसदों वाली रालोद को कृषि जैसा बड़ा मंत्रालय देने को भाजपा तैयार नहीं है।