औषधियुक्त सामग्री से यज्ञ करना है यज्ञौपैथी - हेमालाल
बूंदी। गुग्गुल, नागरमोथा, दारुहल्दी, गंधक सुहागा आदि औषधियुक्त सामग्री से यज्ञ करना ही यज्ञौ
पैथी हैं। यज्ञौपैथी से हमारी मृत कोशिकाएं जीवित होती है और रक्त विकार सहित कई रोगों में लाभकारी होता है। ऐसा कहना हैं पतंजलि योग समिति अध्यक्ष हेमालाल मेघवंशी का, जो वैदिक संस्कार योगाभ्यास एवं आत्मरक्षा प्रशिक्षण शिविर में प्रशिणार्थियों को संबोधित कर रहे थे। हवन व यज्ञ का महत्व बताते हुए मेघवंशी ने कहा कि हवन हमेशा गाय के गोबर से बने कंडे में गाय के घी से अग्नि प्रज्वलित करके पीपल, बड़, शीशम, आम, गूलर, पलाश आदि वृक्षों की लकड़ी जिसे समिधा कहा जाता है उससे ही हवन करना चाहिए अन्य लकड़ियों को यथासंभव टालना चाहिए। इससे पूर्व रविवार को तेरहवें दिन शिविर का शुभारंभ हेमालाल मेघवंशी, ओमप्रकाश कहार व चंचल शर्मा ने शिविर का शुभारंभ हवन के साथ किया। इस दौरान प्रातः 5 बजे शारीरिक शिक्षक व एनआईएस वुशु कोच सुरेश कुमार वर्मा ने नियमित व्यायाम पी०टी०, दौड़ व बाक्सिंग का, वरिष्ठ योग साधक राधेश्याम साहू व योग साधिका रानी ने शिविरार्थियों को मंच से योगासन व प्राणायाम तथा शिविर संयोजक अभयदेव शर्मा ने संगीतमय सर्वांग सुंदर व्यायाम का अभ्यास कराया।
सभी सांप नहीं होते जहरीले
शिविर को स्नेक केचर युधिष्ठिर मीणा ने भी संबोधित किया और बताया कि सिर्फ चुनिंदा सांप ही जहरीले होते हैं। अब वर्षा ऋतु आने वाली है इसलिए कृपया सांपों को मारें नहीं और रेस्क्यू टीम को सूचत करें ताकि उन्हें पकडत्र कर जंगल में छोड़ा जा सकें। शिविर भावभट्ट अखाड़े के तरूण राठौर, आर्यवीर दल सेवा समिति सचिव डॉ हंसराज मंगल, अनुराग शर्मा एडवोकेट, धनराज सिंह, अमित शर्मा, चंद्रप्रकाश राठौर, हुकुमचंद शर्मा, सत्यनारायण महावर, बालकिशन बील्या सहित प्रशिक्षणार्थी मौजूद रहें।
सभी सांप नहीं होते जहरीले
शिविर को स्नेक केचर युधिष्ठिर मीणा ने भी संबोधित किया और बताया कि सिर्फ चुनिंदा सांप ही जहरीले होते हैं। अब वर्षा ऋतु आने वाली है इसलिए कृपया सांपों को मारें नहीं और रेस्क्यू टीम को सूचत करें ताकि उन्हें पकडत्र कर जंगल में छोड़ा जा सकें। शिविर भावभट्ट अखाड़े के तरूण राठौर, आर्यवीर दल सेवा समिति सचिव डॉ हंसराज मंगल, अनुराग शर्मा एडवोकेट, धनराज सिंह, अमित शर्मा, चंद्रप्रकाश राठौर, हुकुमचंद शर्मा, सत्यनारायण महावर, बालकिशन बील्या सहित प्रशिक्षणार्थी मौजूद रहें।