राजस्थान में लोकसभा चुनाव खत्म हो चुके हैं। इसके बाद अब लोकसभावार भाजपा यह आकलन करने में जुटी है कि पार्टी के कितने मंत्री, विधायक और पूर्व विधायक मन से चुनाव प्रचार में जुटे या नहीं? पार्टी को मिली प्रारंभिक जानकारी के अनुसार करीब दस मंत्री और विधायकों के लिए प्रत्याशियों ने यह जानकारी दी है कि इन नेताओं ने पूरे मन से चुनाव में काम नहीं किया। पार्टी यह रिपोर्ट तैयार कर जल्द ही आलाकमान को भेजेगी। इस रिपोर्ट और चुनाव परिणाम में यदि समानता आई तो मंत्रियों-विधायकों पर कार्रवाई तय की जाएगी। राजस्थान में लोकसभा चुनाव खत्म हो चुके हैं। इसके बाद अब लोकसभावार भाजपा यह आकलन करने में जुटी है कि पार्टी के कितने मंत्री, विधायक और पूर्व विधायक मन से चुनाव प्रचार में जुटे या नहीं? पार्टी को मिली प्रारंभिक जानकारी के अनुसार करीब दस मंत्री और विधायकों के लिए प्रत्याशियों ने यह जानकारी दी है कि इन नेताओं ने पूरे मन से चुनाव में काम नहीं किया। पार्टी यह रिपोर्ट तैयार कर जल्द ही आलाकमान को भेजेगी। इस रिपोर्ट और चुनाव परिणाम में यदि समानता आई तो मंत्रियों-विधायकों पर कार्रवाई तय की जाएगी। इसके अलावा करीब सात विधायक ऐसे हैं, जिन्होंने भी मन से पार्टी प्रत्याशी के लिए काम नहीं किया है। इनमें सबसे ज्यादा विधायक बाड़मेर लोकसभा क्षेत्र के हैं। बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा क्षेत्र के तीन विधायकों पर मन से काम नहीं करने के आरोप लगे हैं। इसके अलावा एक-एक विधायक चूरू और अलवर लोकसभा क्षेत्र के हैं। इन दोनों विधायकों ने भी मन से भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में काम नहीं किया है। कोटा संभाग की एक महिला नेता पर आरोप हैं कि इन्होंने तीन से चार सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों के लिए काम नहीं किया। काम करने की जगह उन्होंने हरवाने की कोशिश भी की। इसी तरह चित्तौड़गढ, झुंझुनूं, जयपुर ग्रामीण, दौसा और सीकर लोकसभा क्षेत्र से भी काम नहीं करने वाले विधायकोें की शिकायतें भी पार्टी को मिली हैं। लोकसभा चुनाव में खिलाफ काम करने वालाें पर कांग्रेस ने तो कुछ बड़े नेताओं पर तुरंत कार्रवाई की। कांग्रेस ने अमीन खां, पूर्व प्रदेश सचिव बालेंदू सिंह शेखावत, नगर पालिका चेयरमैन तेजपाल मिर्धा सहित कुछ बड़े नेताओं पर कार्रवाई की। अब सभी प्रत्याशियों से ऐसे नेताओं की सूची मांगी है, जिन्होंने खिलाफ काम किया है। वहीं भाजपा ने अपने किसी भी बड़े नेता पर कोई कार्रवाई नहीं की है। बीकानेर में अल्पसंख्यक मोर्चा के एक स्थानीय पदाधिकारी को जरूर भाजपा ने पार्टी से निकाल दिया, लेकिन इसके अलावा किसी पर कोई कार्रवाई नहीं की। बताया जा रहा है कि पार्टी चुनाव परिणाम आने के बाद ही कार्रवाई तय करेगी।