चेन्नई। चुनाव आयोग की सख्ती के बावजूद नोट के बदले वोट देने की बढ़ रही चिंताजनक प्रवृत्ति पर फिलहाल विराम लगने के संकेत नहीं मिल रहे हैं और तमिलनाडु में 19 अप्रैल को होने वाली वोटिंग के लिए उम्मीदवारों को इससे प्रभावित होने वाले मतदाताओं के एक वर्ग को साधने के लिए अलग-अलग रास्ते निकालने पड़ रहे हैं।आयोग के चौतरफा सर्विलांस से लेकर घूमते फ्लाइंग स्कावड के खतरों के मद्देनजर प्रत्याशियों को वोटरों के अपने इस एक वर्ग को खुश करने के लिए मोबाइल या डिश रिजार्च से लेकर घरेलू उपभोक्ता सामानों का उपहार पहुंचाने का तरीका निकालना पड़ रहा है। खुले तौर पर कोई उम्मीदवार या पार्टी वोट के बदले पैसे देने की बात स्वीकार नहीं कर रही, मगर अनौपचारिक बातचीत में खुलकर यह कहने से गुरेज नहीं कर रहे कि वोटरों के इस वर्ग की बढ़ती अभिलाषाएं चुनावी राजनीति की राह महंगी करती जा रही है।

EC ने 400 करोड़ की नगदी की बरामद 

राजनीतिक पार्टियां या उम्मीदवार रिकॉर्ड पर आकर चुनाव में नोट के बढ़ते प्रभाव को लेकर खुलकर किसी तरह की टिप्पणी करने से चाहे परहेज करें, मगर चुनाव आयोग की ओर से दो दिन पहले 4,600 करोड़ रुपये नगदी व सामाग्री जब्त करने के जारी आंकड़े इस ओर साफ इशारा कर रहे हैं। आयोग ने करीब 400 करोड़ की जो नगदी अब तक बरामद की है उसमें सबसे अधिक 53 करोड़ रुपये तमिलनाडु में पकड़े गए हैं।

वोटरों को लुभाने के तौर-तरीकों का तमिलनाडु में पिछले सालों में एक इतिहास रहा है मगर अब इसका बढ़ता आकार उम्मीदवारों और पार्टियों के चुनावी बजट का दबाव बढ़ा रहा है। चेन्नई, मदुरै, रामनाथपुरम, रामेश्वरम से लेकर कोयंबटूर तक तमाम पाटिर्यों के उम्मीदवारों व उनके समर्थकों ने ऑफ द रिकॉर्ड बातचीत में नोट फैक्टर की चर्चा करते हुए चुनावी बजट की गहराती चुनौतियों का जिक्र किया।

यहां का अलग है रिवाज

चेन्नई की तीन लोकसभा सीटों में से एक सीट के एक प्रमुख दल के उम्मीदवार देर शाम अपने चुनाव प्रचार के दौरान बस्तियों से गुजरते हुए अपने प्रबंधकों को इन इलाकों के लिए तय सुविधाओं को सबके पास पहुंच सुनिश्चित करने को लेकर सजग दिखे। तमिलनाडु में प्रत्याशी का काफिला बस्तियों से गुजरता है तो गांव-बस्तियों, कॉलोनी में महिलाएं परंपरा के अनुसार, आरती की थाली से स्वागत करती हैं जिसमें कुछ न कुछ सम्मान राशि रखी जाती थी, मगर चुनाव आयोग की पैनी नजरों के चलते अब थाली में नगदी रखने का जोखिम प्रत्याशी नहीं उठाते और पर्दे के पीछे सुविधाएं मुहैया कराने का रास्ता निकाला गया है।

तमिलनाडु के एक प्रमुख क्षेत्रीय दल के चुनाव प्रबंधन से जुड़े पदाधिकारी ने कहा कि प्रशासन और आयोग की चौकसी के कारण अगर नगदी नहीं पहुंच पाती तो लोग यह अपेक्षा करते हैं कि मोबाइल या डिश टीवी रिजार्ज हो या वस्तुओं के रूप में प्रति वोट के हिसाब से सेवाएं उसे वोटिंग से पहले उपलब्ध करा दी जाती है।