तेजी से बदलती लाइफस्टाइल का असर सिर्फ बड़ों पर ही नहीं बल्कि बच्चों पर भी देखने को मिलता है। इन दिनों लोग कई शारीरिक और मानसिक समस्याओं का शिकार हो रहे हैं। डिप्रेशर इन्ही समस्याओं में से एक है जो आजकल सिर्फ वयस्कों को ही नहीं बच्चों (depression in kids) को भी अपनी शिकार बना रहा है। आइए जानते हैं बच्चों में डिप्रेशन के कारण-

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ओम धगाल - पूर्व प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य भाजपा युवा मोर्चा

ओम धगाल की और से हिंडोली विधानसभा क्षेत्र एवं बूंदी जिले वासियों को रौशनी के त्यौहार दीपावली की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं

तेजी से बदलती लाइफस्टाइल इन दिनों लोगों को कई समस्याओं का शिकार बना रही है। बढ़ते वर्कप्रेशर और अन्य परेशानियों की वजह से सिर्फ शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक समस्याएं भी लोगों को अपनी चपेट में ले रही है। डिप्रेशन इन्हीं समस्याओं में के एक हैं, जिससे इन दिनों कई लोग प्रभावित हैं। सिर्फ बड़े और बुजुर्ग ही नहीं, बल्कि आजकल बच्चे (depression in kids) भी इसका शिकार हो रहे हैं। बीते कुछ समय से बच्चों में डिप्रेशन के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।

यह समस्या गंभीर रूप ले सकती है, अगर समय रहते इसे कंट्रोल न किया जाए। बच्चों में डिप्रेशन के कुछ प्रमुख कारण हो सकते हैं, जिसकी जानकारी होने पर पेरेंट्स इससे अपने बच्चों का बचाव कर सकते हैं। ऐसे में आज इस आर्टिकल में जानेंगे बच्चों में डिप्रेशन के 4 मुख्य कारणों के बारे में-

एकल परिवार

पहले से समय में जहां संयुक्त परिवारों में रहने का चलन था, तो वहीं अब ज्यादा लोग एकल परिवार में रहते हैं। संयुक्त परिवार में अक्सर चहल पहल और रौनक बनी रहती थी और बच्चों को माता-पिता के अलावा दादा-दादी, चाचा-चाची, बुआ सभी का प्यार मिलता था। हालांकि, एकल परिवार में सिर्फ माता-पिता का साथ रहता है, जो काम के लिए ज्यादातर बाहर रहते हैं। ऐसे में बच्चे अकेलपन की वजह डिप्रेस हो सकते हैं।

डांट-फटकार

गलती करने पर या बच्चों को सही-गलत बताने के लिए पेरेंट्स अक्सर डांट या फटकार लगा देते हैं। ऐसे में कई बार माता-पिता का यह बर्ताव बच्चों के दिल में कांटे की तरह चुभ जाता है, जिसकी वजह से उनके कमजोर मन पर गहरी चोट लग जाती है, जो उन्हें धीरे-धीरे डिप्रेशन की तरफ धकेलती है।

मन की बात न कर पाना

संयुक्त परिवारों में रहने पर बच्चों के पास अपने मन की बात कहने के लिए बहुत सारे विकल्प होते हैं। बच्चे माता-पिता से साथ ही दादा-दादी, चाचा-चाची आदि से अपने मन की बातें साझा करते थे। हालांकि, वर्तमान में एकल परिवार की वजह से बच्चे बहुत अकेले हो गए हैं। पेरेंट्स भी काम के सिलसिले में ज्यादातर बाहर रहते हैं, जिससे बच्चे अपने मन की बात किसी से कह नहीं पाते और धीरे-धीरे डिप्रेश होने लगते हैं।

घरों में कैद रहना

पुराने समय में बच्चे अपना खाली समय अक्सर घर के बाहर दोस्तों के साथ खेलकर बिताते थे। इसके विपरीत वर्तमान में खराब माहौल को देखते हुए ज्यादातर पेरेंट्स बच्चों घरों से बाहर भेजते से परहेज करते हैं। ऐसे में बच्चा मन बहलाने के लिए दिनभर गैजेट्स से घिरे रहते हैं, जिसकी वजह से भी उन्हें डिप्रेशन होने लगता है।

बच्चों में डिप्रेशन के लक्षण

  • थकान
  • मूड में बदलाव
  • लो एनर्जी लेवल
  • नींद से जुड़ी समस्या
  • नकारात्मक विचार आना
  • सामान्य से अधिक या कम खाना
  • मनोरंजक गतिविधियों में रुचि की कमी