पैंक्रियाटिक कैंसर एक जानलेवा बीमारी है जिसमें पैंक्रियाज में कैंसर सेल्स बढ़ने लगते हैं। इस कैंसर में जान बचाना काफी मुश्किल हो जाता है क्योंकि इसके शुरुआती स्टेज में इसके कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं बल्कि जैसे-जैसे यह बीमारी गंभीर होने लगती है वैसे-वैसे इसके लक्षण दिखने शुरू होते हैं। जानें क्या हैं इसके लक्षण और कैसे कम कर सकते हैं इसके रिस्क फैक्टर्स।

कैंसर एक गंभीर बीमारी है, जिसका वक्त पर पता न लगने की वजह से वह जानलेवा भी साबित हो सकता है। दुनियाभर में मौतों की दूसरी सबसे बड़ी वजह माना जाने वाली इस बीमारी के कई प्रकार होते हैं। यह शरीर के जिस हिस्से को प्रभावित करता है, वह कैंसर उस नाम से जाना जाता है। ऐसे ही, पैंक्रियाज में होने वाले कैंसर को प्रैंक्रियाटिक कैंसर कहा जाता है। आइए जानते हैं इसके लक्षण और इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।

पैंक्रिया एक ग्लैंड होता है, जो पेट में मौजूद होता है। यह इंसुलिन बनाता है, जो ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए आवश्यक होता है और साथ ही, डाइजस्टिव एंजाइम्स भी रिलीज करता है, जो खाना पचाने के लिए आवश्यक होते हैं। पैंक्रियाटिक कैंसर में पैंक्रियाज के सेल्स में असामान्य बदलाव होने लगते हैं और सेल्स अनियंत्रित तरीके से बढ़ने लगते हैं। सेल्स के अनियंत्रित ग्रोथ की वजह से ट्यूमर बन जाता है, जो जानलेवा हो सकता है। इसलिए वक्त रहते इसका पता लगाना बेहद महत्वपूर्ण होता है।

इसलिए कहलाता है साइलेंट किलर…

क्लीवलैंड क्लीनिक के अनुसार इसके कोई शुरुआती लक्षण नहीं होते हैं, जिस कारण से शुरुआती स्टेज पर इसका पता लगाना बेहद मुश्किल होता है। हालांकि, ट्यूमर बनना शुरू होने के बाद इसके लक्षण दिखने शुरू होते हैं। काफी तेजी से बढ़ने की वजह से जब तक इसका पता चलता है, तब तक यह काफी बढ़ चुका होता है। इस कारण से अक्सर इसका इलाज शुरू करने में काफी देर हो जाती है और तब तक काफी हद तक यह संभावना रहती है कि कैंसर शरीर के दूसरे अंगों तक फैलना शुरू हो चुका हो।

क्या हैं इसके लक्षण?

  • पेट या पीठ में दर्द
  • पीलिया
  • वजन कम होना
  • भूख न लगना
  • थकान होना
  • खुजली होना
  • ब्लोटिंग या गैस की समस्या
  • डायबिटीज
  • हाथ या पैरों में दर्द और सूजन
  • डार्क रंग का यूरिन
  • हल्के रंग का मल
  • उल्टी या मितली आनाnerity_a3fe3023feddbf309140eed203fc4bbe.png

    कैसे कर सकते हैं इसके रिस्क को कम?

    हेल्दी डाइट खाएं- अपनी डाइट में सब्जियों, फल, साबुत अनाज को शामिल करें। इनकी मदद से मोटापे से बचाव करने और डायबिटीज की समस्या को कम करने में भी मदद मिलती है, जो पैंक्रियाटिक कैंसर के रिस्क फैक्टर्स होते हैं।

    स्मोकिंग न करें- स्मोकिंग की वजह से पैंक्रियाटिक कैंसर का खतरा काफी बढ़ जाता है। इसलिए स्मोक न करें। अगर आप स्मोकिंग करते हैं, तो इसे छोड़ने के लिए डॉक्टर की मदद ले सकते हैं।

    हानिकारक केमिकल्स से बचें- कुछ केमिकल्स की वजह से भी पैंक्रियाटिक कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है। इसलिए पेस्टिसाइड्स और पेस्टोकेमिकल के एक्सपोजर से बचें।

    वजन मेंटेन करें- अधिक वजन होने की वजह से भी पैंक्रियाटिक कैंसर का खतरा काफी बढ़ जाता है, खासकर, कमर के पास फैट अधिक होने की वजह से। इसलिए एक्सरसाइज और हेल्दी डाइट की मदद से हेल्दी वजन मेंटेन करने की कोशिश करें।