दिल्ली में पकड़े गए तीन तस्कर बदायूं के सहसवान में एक दो मंजिला मकान पर अस्पताल का बोर्ड लगाकर उसमें नकली नोट छाप रहे थे। दिल्ली पुलिस की टीम तीनों को लेकर पहुंची तो पूरे मकान में ताला लगा मिला। पूछताछ में आरोपियों ने एक ग्राम प्रधान का नाम लिया, लेकिन वह भी अपने घर में नहीं मिला। वहीं स्थानीय पुलिस भी नकली नोटों के रैकेट की तलाश में जुटी है।दिल्ली पुलिस ने जरीफनगर थाना क्षेत्र के गांव मुस्तफाबाद जरैठा निवासी दानिश, जरीफनगर के उस्मानपुर निवासी आसिफ और बिल्सी थाना क्षेत्र के गांव बेहटा गुसांई निवासी सरताज को अक्षरधाम मेट्रो स्टेशन के पास गिरफ्तार कर 50 लाख के नकली नोट बरामद किए थे। इनमें दानिश बीयूएमएस का छात्र है और सहसवान के चौकी नंबर चार इलाके में दो मंजिला मकान में मैक्स के नाम से अस्पताल चला रहा है। 

दो दिन पहले यहां कुछ मरीज भी भर्ती थे, लेकिन बुधवार सुबह से यहां ताला लगा हुआ है। इन तीनों के परिवार भी घरों पर नहीं मिले। गिरफ्तारी की सूचना मिलने पर तीनों आरोपियों के परिवार वाले दिल्ली रवाना हो गए। वहीं दिल्ली पुलिस उस ग्राम प्रधान की तलाश में सहसवान आई थी, जिसका आरोपियों ने नाम लिया था। लेकिन वह भी अपने घर पर नहीं मिला। अब दिल्ली पुलिस के साथ-साथ स्थानीय पुलिस उसे तलाश कर रही है।दानिश करीब पांच साल पहले आसिफ और सरताज उसके संपर्क में आया। सरताज कंप्यूटर का जानकार है। तीनों ने अस्पताल के ऊपर कमरे में नकली नोट छापने का सेटअप लगा लिया था। उनका नेटवर्क दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में फैला था। वह कमीशन के तौर पर अपने एजेंटों को नकली नोट सप्लाई करते थे। वह अब तक पांच करोड़ से ज्यादा के रुपये सप्लाई कर चुके थे। 

पंजीकृत भी नहीं था अस्पताल
निजी अस्पतालों के रजिस्ट्रेशन के नोडल अधिकारी डॉ. पंकज शर्मा का कहना है कि मैक्स अस्पताल के नाम से विभाग में न कोई रजिस्ट्रेशन है और न ही कोई लंबित है। न ही कभी इसके लिए आवेदन किया गया है।

स्वास्थ्य विभाग के अफसरों पर उठे सवाल
अस्पताल का संचालक ही नकली नोट छाप रहा था लेकिन कभी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कभी अस्पताल की जांच नहीं की।  हैरानी की बात यह है कि अभी तक अस्पताल सील नहीं किया गया है। 

अलापुर में पकड़े गए थे नकली नोट बनाने वाले
अगस्त 2022 में अलापुर थाना क्षेत्र के गांव भसराला में पिता-पुत्र नकली नोटों के साथ पकड़े गए थे। भसराला निवासी नूरुल हसन और उसका बेटा शहबाज नकली नोट बनाने का काम करता था। पकड़े जाने से पहले वह करीब 50 हजार के नकली नोट खपा चुके थे। वह केवल दो-दो सौ के नोट बनाते थे। 11 अक्तूबर 2019 को भसराला निवासी यावर, इरशाद और सिपाही जितेंद्र को पकड़ा था। उनके पास से नकली नोट और प्रिंटर बरामद हुए थे। चौथा आरोपी मुजीब 18 अक्तूबर को पकड़ा गया था।