बाड़मेर: मानीदेवी के पति का चार साल पहले निधन हो गया था उस सदमे में मानीदेवी मानसिक रूप से विक्षिप्त हो गई पाँच छोटे छोटे मासूम बच्चे हैं और पिछले 3 सालों से अपनी माँ को घर के बाहर एक खेजड़ी के पेड़ से लोहे की जंजीरों से बँधे हुए देखकर हर समय आँखों में पानी रहता है अशोक शेरा को यह बात 15 दिन पहले फ़ोन कर किसी ने बताया कि मानी देवी का इलाज करवाना है उनके परिवार के लोगों के पास इतने पैसे नहीं हैं और छोटे छोटे मासूम बच्चे इतने परेशान हैं कि उनको खाने के भी लाले पड़ रहे हैं अशोक शेरा ने बताया कि मैं अपने आप को ख़ुश नसीब मानता हूँ कि आज सुबह 10 बजे पहुँच कर पूर्व DGP सांगाराम जांगिड़ बाड़मेर के अतिरिक्त जिला कलेक्टर अंजुम ताहिर और अन्य सब लोगों के सहयोग से उसको इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया बच्चों की मदद के लिए कई भामाशाह आगे आएँ और लगातार आर्थिक सहयोग भी कर रहे हैं मानी देवी को जब एम्बुलेंस में बिठाकर अस्पताल ले जा रहे थे तब मानीदेवी और उसके मासूम बच्चों के चेहरे पर एक अलग ही ख़ुशी और उम्मीद थी जिसे देखकर मुझे और इस प्रकार के लोगों की मदद करने की हिम्मत मिलती है। मेरी पत्रकारिता जीवन के 3 साल के इस सफ़र में अब तक 40 से अधिक इस प्रकार मानसिक विक्षिप्त लोग जो लोहे की जंजीरों से पेड़ों से बंधे थे उनको अस्पताल तक पहुंचाकर उनका इलाज करवाया और बहुत ही दयनीय स्थिति वाले परिवारों की भामाशाहों से आर्थिक सहायता भी करवाई क़रीब 200 से अधिक ऐसे लोग जो किसी कारणवश घर वालों से बिछड़ गए गुमशुदा हो गए उनको चौबीस घंटों के भीतर परिजनों से मिलवाया 70-80 ऐसे परिवार जिनके घर में अलग अलग हादसों के कारण कमाने वाले लोगों की मृत्यु हो जाने के बाद और अत्यंत ग़रीब परिवारों को दानदाताओं से 20 करोड़ से अधिक रुपयों की आर्थिक मदद क्राउड फ़ंडिंग से करवा दी। हालाँकि एक पत्रकार का यह मेरा कार्य है और मेरी ड्यूटी भी है लेकिन जब ऐसे काम करने के बाद जो सुकून मिलता है उस से बढ़कर दुनिया में कोई सुख या धन दौलत नहीं है आप सब की हौसला अफ़ज़ाई मुझे और बेहतर करने की ताक़त देती है

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