चीन के तीन अंतरिक्ष यात्री छह महीने तक चीन के परिक्रमा अंतरिक्ष स्टेशन में रहने के बाद मंगलवार की सुबह पृथ्वी पर लौट आए हैं। आधिकारिक शिन्हुआ समाचार एजेंसी ने कहा कि जिंग हैपेंग, झू यांग्झू और गुई हाई चाओ गोबी रेगिस्तान के किनारे जिओ क्वान सैटेलाइट लॉन्च सेंटर के पास रिटर्न कैप्सूल से निकले।

स्टेशन का नया दल पिछले सप्ताह तियांगोंग स्टेशन पर पहुंच गया है। स्टेशन का का पूरा हो गया है, अब नया दल चिकित्सा और वैज्ञानिक प्रयोग करेगा और उपकरणों को इसके अनुसार रखेगा।

2023 तक चांद पर यात्री भेजने का प्लान

चीन ने 2003 में अपना पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन बनाया और 2030 से पहले चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की योजना बनाई है। यह चंद्रमा की सतह से सैंपल वापस लाया है और चंद्रमा के कम खोजे गए सुदूर हिस्से पर एक रोवर उतारा है। भविष्य में योजना बनाई गई है कि ब्रह्मांड की गहराई से जांच करने के लिए एक नई दूरबीन भेजी जाएगी।

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से बाहर किए जाने के बाद चीन ने अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन बनाया। इसको निकालने का मुख्य कारण राष्ट्रीय अंतरिक्ष कार्यक्रम पर चीनी सैन्य नियंत्रण पर अमेरिका की चिंताएं थीं।

अमेरिका का प्रतिद्वंद्वी बनकर उभरा बीजिंग

बाहरी अंतरिक्ष में नए मील के पत्थर तक पहुंचने के लिए बीजिंग अमेरिका के साथ मुख्य प्रतिद्वंद्वी के रूप में उभरा है। यह प्रौद्योगिकी, व्यापार, सैन्य और राजनयिक क्षेत्रों में दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच प्रभाव की प्रतिस्पर्धा को दर्शाता है। इसमें दक्षिण चीन सागर पर संप्रभुता का चीन का दावा और स्व-शासित ताइवान विवाद के विशेष बिंदु हैं।

अमेरिका के लक्ष्य कदम पर चलने की तैयारी में चीन

इस बीच, अमेरिका का लक्ष्य SpaceX और ब्लू ओरिजिन जैसे निजी क्षेत्र के खिलाड़ियों की सहायता से क्रू मिशन के लिए नए सिरे से प्रतिबद्धता के तहत 2025 के अंत तक अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्र सतह पर वापस लाना है। अपने चंद्र कार्यक्रमों के अलावा, दोनों देशों ने मंगल ग्रह पर अलग-अलग रोवर भी उतारे हैं और चीन एक एस्टेरॉयड पर अंतरिक्ष यान उतारने में अमेरिका को फॉलो करने की योजना बना रहा है।