नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बताया है कि उसके पास कर्ज में डूबे राज्यों को उबारने संबंधी कोई प्रस्ताव न तो आरबीआइ से और न ही संबंधित राज्यों से आया है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने मंगलवार को राज्य सभा में एक लिखित सवाल के जवाब में इसकी जानकारी देते हुए बताया कि कोरोना काल में केंद्र के साथ ही राज्यों पर कर्ज का जो बोझ बढ़ा था उसमें कमी आने लगी है।

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इन छह राज्यों पर एसजीडीपी का अनुपात 40 फीसदी से ज्यादा 

अधिकांश राज्यों पर कर्ज का बोझ उनकी सकल घरेलू उत्पादन (SGDP) के मुकाबले अब कम होने लगा है। हालांकि, अभी भी छह राज्य ऐसे हैं जिन पर बाहरी दायित्व और एसजीडीपी का अनुपात 40 फीसद से ज्यादा बना हुआ है।

वित्त राज्य मंत्री ने बताया है कि बिहार के एसजीडीपी के मुकाबले कुल देनदारियों का अनुपात वर्ष 2021 में 38.7 फीसद था जो वर्ष 2023 में घट कर 38.6 फीसद, उत्तर प्रदेश के यह अनुपात इस अवधि में 36.4 फीसद से घट कर 32.6 फीसद, पंजाब के लिए 48.7 फीसद से घट कर 47.6 फीसद, हिमाचल प्रदेश के लिए 44 फीसद से घट कर 41.9 फीसद, झारखंड के लिए 36.3 फीसद से घट कर 34.1 फीसद , उत्तराखंड के लिए 32.1 फीसद से घट कर 32 फीसद, मध्य प्रदेश के लिए 29.8 फीसद से घट कर 28.9 फीसद रह गया है।

साल 2023 में देश पर 155.6 लाख करोड़ का था कर्ज: वित्त राज्य मंत्री

अगर पूरे देश पर बात करें तो वित्त राज्य मंत्री के मुताबिक 31 मार्च, 2023 को देश पर कुल 155.6 लाख करोड़ रुपये का कर्ज था। यह देश की कुल जीडीपी के मुकाबले 57.1 फीसद है। जबकि 31 मार्च, 2021 को यह अनुपात 61.5 फीसद था। वित्त राज्य मंत्री ने यह कहा है कि उनके मंत्रालय को आरबीआइ की तरफ से ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं प्राप्त हुआ है, जिसमें हरियाणा समेत सबसे ज्यादा कर्ज में डूबे पांच राज्यों की स्थिति सुधारने की बात हो।