नई दिल्ली,  एम्स को पर्यावरण के अनुकूल बनाने और परिसर में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसी क्रम में अब एम्स प्रशासन ने 200 इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने की तैयारी की है।

एम्स के आसपास प्रदूषण के मामले पर एनजीटी द्वारा आदेश जारी किए जाने के बाद 25 जुलाई को विभिन्न सिविक एजेंसियों और विभागों के साथ हुई बैठक में एम्स प्रशासन ने अपनी इस योजना की जानकारी दी। एम्स प्रशासन का कहना है कि छह माह में ये इलेक्ट्रिक वाहन संस्थान में आ जाएंगे।

इसका इस्तेमाल एम्स के मुख्य परिसर से मस्जिद मोठ स्थित विभिन्न ब्लाक के बीच मरीजों और कर्मचारियों के आवागमन के लिए होगा। एम्स के मुख्य परिसर और मस्जिद मोठ के बीच करीब एक किलोमीटर की दूरी है। मस्जिद मोठ के पास एम्स के चार सेंटर हैं। इनमें ओपीडी ब्लाक, सर्जिकल ब्लाक, मातृ एवं शिशु ब्लाक और जेरियाट्रिक ब्लाक शामिल हैं। इसके अलावा एम्स से ट्रामा सेंटर की दूरी भी करीब दो किलोमीटर है।

इसके मद्देनजर मौजूदा समय में एम्स के मुख्य अस्पताल के परिसर से मस्जिद मोठ के बीच इलेक्ट्रिक शटल सेवा का संचालन होता है। लेकिन मरीजों का दबाव अधिक होने के कारण मौजूदा शटल सेवा कम पड़ रही है। इस वजह से मरीज आवागमन के लिए आटो का इस्तेमाल करते हैं। हाल ही में एनजीटी ने एम्स के आसपास प्रदूषण की स्थिति पर चिंता जाहिर की है और प्रदूषण कम करने के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए थे।

एम्स के मीडिया डिवीजन की चेयरपर्सन डॉ. रीमा दादा ने कहा कि वर्तमान समय में 50 इलेक्ट्रिक वाहन इस्तेमाल हो रहे हैं। इसमें शटल सेवा के रूप में इस्तेमाल होने वाली ई-बस भी शामिल है। एम्स के गेट नंबर एक से मस्जिद मोठ स्थित ओपीडी ब्लाक के बीच उसका परिचालन होता है।

मरीजों के लिए यह सुविधा निश्शुल्क है। इस सेवा में विस्तार और कर्मचारियों के एक ब्लाक से दूसरे ब्लाक में आवागमन की सुविधा के लिए 200 इलेक्ट्रिक वाहन लाने की पहल की गई है। एम्स ने पहले शटल सेवा के लिए 100 इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने की बात कही थी।