नई दिल्ली। आरक्षण के बाद भी इसके लाभ से वंचित अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी ) की करीब डेढ़ हजार जातियों को अब अपने हक से जुड़े लाभ के लिए और ज्यादा इंतजार नहीं करना होगा। करीब छह साल की लंबी जद्दोजहद के बाद जस्टिस रोहणी आयोग ने ओबीसी आरक्षण के वर्गीकरण को लेकर अपना काम पूरा कर लिया है।
रिपोर्ट को पूरी तरह से रखा गया है गोपनीय
इस रिपोर्ट को पूरी तरह से गोपनीय रखा गया है। साथ ही अगले एक- दो दिनों में इसे सरकार को सौंपने की तैयारी है, लेकिन जो जानकारी मिली है उसके तहत ओबीसी आरक्षण को तीन से चार श्रेणी में बांटने की सिफारिश की गई है। इसमें भी पहली प्राथमिकता में ऐसी उन सभी जातियों को रखने की सिफारिश की गई है, जिन्हें अब तक इसका एक बार भी लाभ नहीं मिला है। ओबीसी की जातियों में इनकी संख्या करीब डेढ़ हजार है, यह बात अलग है इनकी आबादी अन्य ओबीसी जातियों के मुकाबले काफी कम है।
आयोग ने सरकार से मांगा समय
आयोग ने रिपोर्ट को सौंपने के लिए सरकार से समय मांगा है। उसका कार्यकाल भी 31 जुलाई को खत्म हो रहा है। आयोग से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक ओबीसी आरक्षण को बांटने के लिए दो फार्मूले तैयार किए है। हालांकि, दोनों ही एक दूसरे के पूरक है। पहले फार्मूले में ओबीसी आरक्षण को तीन श्रेणियों में बांटने की सिफारिश है, इनमें पहली श्रेणी में ओबीसी की ऐसी डेढ़ हजार जातियों को शामिल करने का प्रस्ताव है, जिन्हें आरक्षण का अब तक कोई भी लाभ नहीं मिला है। इन्हें दस फीसद आरक्षण देने की बात कही गई है।
दो बार लाभ मिलने वालों को रखा गया दूसरी श्रेणी में
वहीं, दूसरी श्रेणी में ऐसी जातियों को रखा है जिन्हें एक या दो बार इसका लाभ मिला है, इनकी संख्या भी करीब एक हजार बताई गई है, इन्हें भी बंटवारे में दस फीसद आरक्षण प्रस्तावित किया है, जबकि बाकी के बचे सात फीसद आरक्षण में उन जातियों को रखा है, जिन्होंने अब तक ओबीसी आरक्षण का सबसे ज्यादा लाभ लिया है। इन जातियों की संख्या करीब डेढ़ सौ है।
इन चार श्रेणियों में बांटने का सुझाव
सूत्रों की मानें तो कई राज्य इस पैटर्न पर ओबीसी आरक्षण का बंटवारा कर चुके है। सूत्रों के मुताबिक, आयोग ने ओबीसी आरक्षण के बंटवारे का जो दूसरा फार्मूला दिया है, उसमें इसे चार श्रेणियों में बांटने का सुझाव है। जो पहले वाले फार्मूले जैसा है, लेकिन इसे आरक्षण के लाभ से वंचित जातियों तक पहुंचाने के लिए इसके दायरे को और छोटा किया गया है, जिसमें पहली श्रेणी दस फीसद, दूसरी नौ, तीसरी- छह और चौथी दो फीसद की रखी गई है।