नई दिल्ली। अमेरिका चाहता है कि भारत की अगुवाई में भरोसेमंद और दायित्वपूर्ण आर्टिफिशिएल इंटेलीजेंस (AI) को लेकर वैश्विक साझेदारी बनाने का काम हो। यह बात राष्ट्रपति जो बाइडन ने पीएम मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता के दौरान कही।

इसका उल्लेख दोनो देशों की तरफ से जारी संयुक्त बयान में किया गया है। मोदी और बाइडन के बीच एआइ को लेकर वैश्विक स्तर पर बढ़ रही चिंता और इसे ज्यादा भरोसेमंद बनाने से जुड़े विषयों पर भी बात हुई है।

भारत में निवेश के लिए तैयार अमेरिकी कंपनियां

भारत और अमेरिका दोनों एआइ, क्वांटम प्रौद्योगिकी जैसे अत्याधुनिक क्षेत्र में आपसी रिश्तों को और ज्यादा प्रगाढ़ करने जा रहे हैं। अत्याधुनिक और क्रिटिकल प्रौद्योगिकी दोनो देशों की द्विपक्षीय कारोबारी रिश्तों का मुख्य स्तंभ होने वाला है।

हाई टेक की सभी बड़ी अमेरिकी कंपनियां भारत में निवेश करने को तैयारी में है। गुरुवार को ही अमेरिका की सेमीकंडक्टर कंपनियों ने भारत में 3.15 अरब डॉलर के निवेश की घोषणा की है। संयुक्त बयान से साफ है कि अत्याधुनिक तकनीक को भारत को हस्तांतरित करने में अमेरिका की झिझक समाप्त हो रही है।

तकनीक निर्यात से जुड़ी पाबंदियों को दूर करने के दिए गए निर्देश

इसका संकेत जनवरी, 2023 में ही मिल गया था तब दोनो देशों ने के बीच क्रिटिकल व इमर्जिंग प्रौद्योगिकी में सहयोग (ICET) की शुरुआत की गई थी।

मोदी और बाइडन ने अपने अपने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया है कि तकनीकी हस्तांतरण की राह को आसान बनाने के लिए उपयुक्त कदम उठाये जाएं। तकनीक निर्यात से जुड़ी पाबंदियों को दूर करने के लिए भी तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया गया है। यह अमेरिका के रूख में एक बड़ा बदलाव है।

अत्याधुनिक तकनीक को ज्यादा सुरक्षित बनाने को लेकर हुई चर्चा

संयुक्त बयान से यह भी पता चलता है कि दोनो देशों की सरकारें भारत और अमेरिका को सेमीकंडक्टर के वैश्विक सप्लाई चेन का प्रमुख केंद्र के तौर पर स्थापित करने की योजना के तहत काम कर रहा है। बताते चलें कि जिस तरह मोदी और बाइडन की मुलाकात हुई है उसी दिन अमेरिका की दो सेमीकंडक्टर कंपनियों ने भारत में संयुक्त तौर पर 3.15 अरब डॉलर के निवेश की घोषणा की है। अत्याधुनिक तकनीक को ज्यादा सुरक्षित बनाने को लेकर भी दोनो नेताओं के बीच बातचीत हुई है।

दूरसंचार क्षेत्र को लेकर दोनों देशों के बीच हुई चर्चा

खास तौर पर दूरसंचार क्षेत्र में 5जी और 6जी तकनीक को किस तरह से ज्यादा सुरक्षित बनाया जाए, इसको लेकर दोनो देशों के बीच लगातार विमर्श हो रहा है। इसके लिए एक कार्यदल का भी गठन किया गया है। राष्ट्रपति बाइडन ने प्रस्ताव रखा है कि दोनो देशों को दूरसंचार क्षेत्र में विश्वसनीय आपूर्तिकर्ताओं को सुनिश्चित करने को लेकर सहयोग करना चाहिए।

आर्टिफिशिएल इंटेलीजेंस और क्वांटम प्रौद्योगिकी भी भावी सहयोग का एक बड़ा क्षेत्र होगा। इसके लिए हाल ही में 20 लाख डॉलर के अनुदान से कार्यक्रम शुरू करने की घोषणा की गई है।

अंतरिक्ष से जुड़े हर क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाएंगे दोनों देश

आर्टिफिशिएल इंटेलीजेंस (एआइ) के संभावित खतरे पर भी मोदी और बाइडन के बीच वार्ता हुई है। संयुक्त बयान में कहा गया है कि विश्वसनीय व दायित्वपूर्ण एआइ के लिए विश्व स्तर पर सहयोग करने पर दोनो नेताओं ने जोर दिया है।

अमेरिका चाहता है कि दायित्वपूर्ण एआइ पर वैश्विक साझेदारी पर काम करने के अभियान का भारत नेतृत्व करे। यह भी बताया गया है कि दोनो नेताओं ने अंतरिक्ष से जुड़े हर क्षेत्र में सहयोग को आगे बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। इसरो व नासा मिल कर वर्ष 2023 के अंत तक अंतरिक्ष में अपने अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने का रोडमैप तैयार कर लेंगे।