नई दिल्ली। देश के सभी नागरिकों के लिए समान कानून की व्यवस्था करने वाली समान नागरिक संहिता पर हलचल तेज हो गई है। विधि आयोग ने एक बार फिर पब्लिक नोटिस जारी कर समान नागरिक संहिता पर आम जनता और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों की राय मंगाई है।

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राय भेजने के लिए 30 दिन का समय तय किया गया है। ऐसे में लगता है कि जल्दी ही विधि आयोग इस विषय पर काम पूरा कर रिपोर्ट दे सकता है। उसके बाद गेंद सरकार के पाले में होगी।

समान नागरिक संहिता का मुद्दा भाजपा के घोषणापत्र में शामिल है। मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में ही समान नागरिक संहिता का मुद्दा विचार के लिए विधि आयोग को भेजा था। केंद्र सरकार ने 17 जून, 2016 को समान नागरिक संहिता का विषय विचार के लिए विधि आयोग को भेजा था और आयोग से उस पर रिपोर्ट देने को कहा था।

विधि आयोग ने जनता से मांगी थी राय

पिछले विधि आयोग यानी 21वें विधि आयोग ने इस विषय पर सात अक्टूबर, 2016 को प्रश्नावली जारी कर आम जनता से इस पर राय मांगी थी। साथ ही सभी हितधारकों से भी अपनी राय देने की अपील की थी। बड़ी संख्या में लोगों की राय और प्रतिक्रिया प्राप्त होने पर 21वें विधि आयोग ने 19 मार्च, 2018, 27 मार्च, 2018 और 10 अप्रैल, 2018 को भी इस बारे में पब्लिक नोटिस जारी किया था।

इसके बाद 21वें विधि आयोग ने लोगों की आये विचारों को देखने के बाद 31 अगस्त, 2018 को परिवार विधियों (फैमिली ला) में सुधार पर परामर्शपत्र जारी किये थे। उसी दिन 21वें विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस बीएस चौहान का कार्यकाल समाप्त हो गया था। 31 अगस्त, 2018 के बाद से इस मुद्दे पर कुछ नहीं हुआ। अब 22वें विधि आयोग जिसके अध्यक्ष जस्टिस ऋतुराज अवस्थी हैं, ने बुधवार को पब्लिक नोटिस जारी कर एक बार फिर समान नागरिक संहिता पर लोगों की राय मंगाई है।

विधि आयोग की वेबसाइट पर जारी किये गए पब्लिक नोटिस में कहा गया है कि परिवार विधियों पर विधि आयोग द्वारा परामर्शपत्र जारी किये करीब तीन साल का समय बीत चुका है। ऐसे में मामले के महत्व को देखते हुए और विभिन्न अदालतों के आदेशों को देखते हुए विधि आयोग का विचार है कि इस मुद्दे पर नये सिरे से विचार होना चाहिए। इसलिए विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता पर एक बार फिर आम जनता और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों की राय जानने का निर्णय लिया है।

विधि आयोग ने कहा है कि जो लोग इस विषय में रुचि रखते हैं और अपनी राय देना चाहते हैं वे इस नोटिस के 30 दिन के भीतर अपनी राय विधि आयोग को ईमेल के जरिये या विधि आयोग के मेंबर सचिव आयोग को अगर जरूरत लगी तो वह व्यक्तियों को या संगठनों को सुनवाई या विचार विमर्श के लिए बुलाएगा। समान नागरिक संहिता पर कई राज्य अलग-अलग अपने यहां कमेटी बना चुके हैं और विचार कर रहे हैं, लेकिन केंद्रीय स्तर पर विधि आयोग में तीन साल बाद हलचल शुरू हुई है।

HC में लंबित हैं छह याचिकाएं

अभी गोवा एक मात्र राज्य है जहां समान नागरिक संहिता लागू है। पूरे देश में समान नागरिक संहिता लागू करने की मांग वाली छह याचिकाएं दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित हैं।

हाईकोर्ट से उन पर केंद्र सरकार को नोटिस भी जारी हुआ था और केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया था जिसमें इस मुद्दे पर गहनता से अध्ययन की जरूरत बताई थी, लेकिन कहा था कि यह मामला विधायिका के विचार करने का है। इस पर कोर्ट को आदेश नहीं देना चाहिए। साथ ही मामला विधि आयोग को भेजे जाने का भी हवाला भी दिया था।