नई दिल्ली, आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा के सामने एकजुट होकर चुनौती पेश करने की कोशिश में जुटे विपक्षी दलों के लिए 2019 के आंकड़े परेशानी का सबब साबित हो सकते हैं। 2019 में भाजपा को मिली 303 सीटों में 164 सीटों पर दो लाख से अधिक वोटों के अंतर से जीत हासिल हुई थी, इनमें से 105 सीटों पर जीत का अंतर तीन लाख से भी अधिक था। जाहिर है एकजुट होने के बावजूद हार के अंतर की बड़ी खाई को पाटना विपक्ष के लिए आसान नहीं होगा।

भाजपा ने भारी अंतर से जीती कई सीटें 

दरअसल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के आंकड़ों को देंखे तो भाजपा वोट फीसद को 31.3 फीसद से बढ़ाकर 37.7 फीसद करने में सफल रही थी। लेकिन 6.4 फीसद अधिक वोट लाने के बावजूद 21 सीटों का ही इजाफा हो पाया था। लेकिन इसका दूसरा लाभ यह हुआ कि भाजपा अधिक-से-अधिक सीटें भारी अंतर से जीतने में सफल रही।

2014 में भाजपा आठ राज्यों में 116 सीटें दो लाख से अधिक वोटों के अंतर जीती थी। लेकिन 2019 में 17 राज्यों में 164 सीटें इतने भारी अंतर से जीतने में सफल रही। वहीं तीन लाख से अधिक से जीतने वाली सीटों की संख्या 42 से बढ़कर 105 हो गई। इसी तरह से भाजपा 2014 में चार लाख के अंतर से 13 और पांच लाख के अंतर से पांच सीटें जीती थी, जिनकी संख्या 2019 में 44 और 15 हो गईं।

भाजपा के वोट शेयर में हो सकता है इजाफा

भाजपा की तुलना में विपक्षी दल दो लाख से अधिक वोटों से जीत अपेक्षाकृत कम सीटों पर ही हासिल कर पाए। 2019 में कुल 236 सीटों पर हार-जीत का फैसला दो लाख से अधिक वोटों से हुआ था। इनमें भाजपा के 164 सीटों के बाद दूसरे स्थान पर डीएमके थी, जिसने कुल 16 सीटें इतने भारी अंतर से जीती थी।

ध्यान देने की बात है कि तमिलनाडु में डीएमके के सामने मुकाबला भाजपा के बजाय उसके सहयोगी दल एआइडीएमके साथ था। तीसरे स्थान पर जदयू रहा, जिसने कुल 10 सीटें दो लाख से अधिक वोटों के अंतर से जीती थी। जदयू 2019 में भाजपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रहा था।

वहीं कांग्रेस सिर्फ नौ सीटों पर ही दो लाख से अधिक वोट से जीतने में सफल रही थी। कुल जीती गई 303 सीटों में से 164 सीटों पर दो लाख से अधिक वोट से जीत से साफ है कि यह सिर्फ सामाजिक या जातीय समीकरण के सहारे हासिल नहीं किया गया है।

बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता और अमित शाह की रणनीति की अहम भूमिका रही है। नौ साल सत्ता में रहने के बावजूद मोदी की लोकप्रियता पर असर नहीं है ऐसा लगातार कई सर्वे में दिख रहा है। ऐसे में भाजपा के वोट शेयर में कमी आने के बजाय 2024 में इजाफा भी हो सकता है।