नई दिल्ली: कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी ने आश्वस्त किया है कि इस साल मानसून के बावजूद देश में कोयले की कमी नहीं होगी, क्योंकि अभी तक उत्पादन बहुत ही अच्छा रहा है। उन्होंने कहा कि
देश की तेज आर्थिक प्रगति और बढ़ती बिजली की मांग को पूरा करने के लिए कोयला उत्पादन फिलहाल संतोषजनक स्तर पर है। उन्होंने कोल इंडिया लिमिटेड (सीआइएल) को अगले दो से तीन वर्षों में भारत को एक कोयला आयातक देश से कोयला निर्यातक देश में तब्दील करने का आग्रह भी किया।
उत्पादन पांच गुना बढ़ाने की तैयारी
इस अवसर पर कोयला मंत्री ने अंडरग्राउंड खनन प्रक्रिया से कोयला निकालने को लेकर सीआइएल का विजन डाक्यूमेंट भी पेश किया। सीआइएल ने अंडरग्राउंड (यूजी) माइंस से कोयला उत्पादन में पांच गुना वृद्धि अगले सात-आठ वर्षों में करने की योजना तैयार की है। यूजी कोयला खदानों से अभी सिर्फ 2.5 करोड़ टन कोयला निकाला जाता है, जिसे वर्ष 2030 तक बढ़ाकर 12.5 करोड़ टन करने की योजना है। अभी भारत में कुल कोयला उत्पादन का सिर्फ पांच प्रतिशत ही अंडरग्राउंड खदानों से होता है।
आयातित कोयले पर निर्भरता होगी समाप्त
अंडरग्राउंड कोयला खदान (ऐसी खदान जिसमें जमीन के अंदर एक सुरंग के जरिये कोयला खनन किया जाता है जबकि ओपन कास्ट माइंस में खनन ऊपर से होता है और इसका मुंह आसमान की तरफ खुला होता है) से कोयला उत्पादन वर्ष 2028 तक 10 करोड़ टन सालाना करके और उसके बाद के तीन वर्षों में 12.5 करोड़ टन सालाना करके आयातित कोयले पर निर्भरता खत्म की जा सकती है। यह देश के कुल कोयला उत्पादन का 10 प्रतिशत होगा।
दरअसल, अंडरग्राउंड माइंस से कोयला निकालने की ना सिर्फ लागत ज्यादा होती है बल्कि इसमें तकनीक की जरूरत होती है। हालांकि इसे पर्यावरण के लिए ज्यादा अनुकूल माना जाता है। विजन डाक्यूमेंट में बताया गया है कि चीन में कुल कोयला उत्पादन का 90 प्रतिशत यूजी माइंस से, अमेरिका में 37 प्रतिशत और दक्षिण अफ्रीका में 50 प्रतिशत होता है।
96 प्रतिशत कोयला खुली खदान से निकाला गया
कोल इंडिया के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल ने विजन डाक्यूमेंट में बताया कि
वर्ष 2022-23 में कुल 70.2 करोड़ टन कोयले का उत्पादन किया है। इसमें से 96 प्रतिशत ओपन माइंस से निकाला गया है। पहले यह स्थिति नहीं थी। वर्ष 1985 के बाद से अंडरग्राउंड खानों से कोयला निकालने में कमी हुई है और अभी तक इसमें 56 प्रतिशत की गिरावट हुई है।