नई दिल्ली, कर्नाटक में इस माह के आरंभ में मिली चुनावी सफलता से सीखकर कांग्रेस अन्य राज्यों में भी अपनी उपस्थिति प्रभावी कर राजनीतिक जमीन मजबूत करने की योजना पर काम करती दिख रही है। कम से कम तेलंगाना के बारे में तो ऐसा कहा ही जा सकता है।

तेलंगाना के स्थापना दिवस पर कांग्रेस लगाएगी एक तीर से दो निशाने

  • दो जून को तेलंगाना का दसवां स्थापना दिवस है और कांग्रेस इसे राज्य में अपनी पहचान को नई ताकत देने के लिए प्रयोग करने की तैयारी में हैं।
  • दक्षिण के अखबारों की सुर्खियां बता रही हैं कि तेलंगाना का स्थापना दिवस मनाने के लिए कांग्रेस ने राज्य में 20 दिवसीय कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की है, जिससे वह एक तीर से दो निशाने लगाने की जुगत में है।
  • उत्सवी माहौल में भागीदार बनने के साथ ही वह सत्ताशीन बीआरएस सरकार की कमियों की तरफ भी जनता का ध्यान खींचेगी और खुद को एक विकल्प के रूप में भी प्रस्तुत करेगी।
  • खुद को तेलंगाना को राज्य का दर्जा देने वाली पार्टी के तौर पर पेश करने के साथ पूरे प्रदेश में सभी पार्टी कार्यकर्ताओं के घर पर कांग्रेस का झंडा फहराने की भी योजना है।
  • सियासी गलियारों में इस योजना के मूल में तेलंगाना में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कर्नाटक की तर्ज पर जनता से लुभावने वादे करने का आधार तैयार करना माना जा रहा है।

बीआरएस सरकार और केंद्र की भी तैयारी

तेलंगाना सरकार भी स्थापना दिवस पर बड़े पैमाने पर 21 दिनी समारोह कर रही है। जो गांव-गांव तक आयोजित होगा। इधर भाजपा नीत केंद्र सरकार भी एक दिन का कार्यक्रम आयोजित करेगी जिसमें गोलकुंडा किले पर ध्वजारोहण किया जाएगा। तेलंगाना में दूसरी बार राज्य और केंद्र सरकार किसी कार्यक्रम को अलग-अलग मनाएंगी। इसके पहले 17 सितंबर 2022 को हैदराबाद मुक्ति दिवस पर दोनों ने कार्यक्रम आयोजित किए थे।

भाजपा नहीं ले पाई तेलंगाना बनने का श्रेय

आम तौर पर तेलंगाना को राज्य का दर्जा मिलने के पीछे बीआरएस (तब टीआरएस) को श्रेय दिया जाता है, लेकिन रोचक तथ्य यह है कि भाजपा ने पृथक राज्य की मांग जोरदार तरीके से रखी थी। केंद्र में मंत्री जी किशन रेड्डी तब आंध्र प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष हुआ करते थे और अलग तेलंगाना के लिए पुरजोर आवाज उठा रहे थे। हालांकि भाजपा कभी इस बात का पूरा श्रेय वहां ले नहीं पाई है।

महानाडु पर रार

  • तेलंगाना के पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश में भी राजनीतिक सरगर्मी बढ़ते तापमान के साथ बढ़ रही है।
  • अगले वर्ष होने वाला चुनाव के लिए कमर कस रही पार्टियों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है।
  • ताजा घटनाक्रम में चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी ने सत्ता पर काबिज वाईएसआर कांग्रेस पर इसके महत्वाकांक्षी कार्यक्रम महानाडु के आयोजन में रोड़े अटकाने का आरोप मढ़ा है।
  • दरअसल, संस्थापक एनटी रामाराव की जन्मशती के अवसर पर टीडीपी ने 27 मई को महानाडु का आयोजन किया।
  • टीडीपी का कहना है कि उसे इस आयोजन के लिए आंध्र प्रदेश परिवहन निगम से बसें मिलने में दिक्कत हुई।
  • अयन्ना पटरुडु कहना है कि वाईएसआर कांग्रेस ने कार्यक्रम के लिए बैनर तक नहीं लगाने दिए।

अन्ना को तो तमिलनाडु ही भाए

तमिलनाडु के भाजपा अध्यक्ष के अन्नामलाई को तजर्तरार राजनेता माना जाता है। पूर्व आइपीएस अन्नामलाई इस अहम दक्षिण भारतीय राज्य में भाजपा की पहुंच बढ़ाने के अभियान में जुटे हैं और अपनी राजनीति को तमिलनाडु तक ही रखना चाहते हैं। कम से कम बीते दिनों मीडिया में आए उनके बयान तो यही कहते हैं।

लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे अन्नामलाई

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अन्ना 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए तमिलनाडु में ही पार्टी कार्यकर्ता के तौर पर काम करना चाहते हैं। दिल्ली की राजनीति में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है। इसी कारण वह लोकसभा का चुनाव भी नहीं लड़ेंगे और पूरा ध्यान भाजपा प्रत्याशियों को जिताने में लगाएंगे।