बेंगलुरु, कर्नाटक में दमदार जीत के बाद कांग्रेस में मुख्यमंत्री के चयन को लेकर खींचतान चल रही है। सिद्दरमैया और डीके शिवकुमार के नाम दौड़ में हैं। इन दिग्गजों की ताकत, कमजोरी और चुनौतियों पर एक नजर.

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कर्नाटक में मिली बड़ी जीत के बाद अब कांग्रेस के सामने सिद्दरमैया और डीके शिवकुमार की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं चुनौती हैं। इसमें संदेह नहीं कि सिद्दरमैया कर्नाटक के सबसे लोकप्रिय और सम्मानित नेता हैं। खास बात यह है कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी सिद्दरमैया को पसंद करते हैं।

सिद्दरमैया की ताकत

- जमीनी स्तर पर लोकप्रियता

- कांग्रेस विधायकों के बड़े वर्ग में स्वीकार्यता

- मुख्यमंत्री के रूप में पूर्णकालिक सरकार (2013-18) चलाने का अनुभव

- 13 बजट पेश कर चुके हैं और व्यापक प्रशासनिक अनुभव है

- राहुल गांधी के करीबी नेताओं में गिने जाते हैं

चुनौती:

- एक समय सिद्दरमैया के कारण मुख्यमंत्री बनने से वंचित रहे मल्लिकार्जुन खरगे और जी परमेश्वर जैसे नेता उनकी राह मुश्किल कर सकते हैं

- बीके हरिप्रसाद, केएच मुनियप्पा जैसे पुराने नेता भी उनके खिलाफ हैं

- अनुसूचित जाति वर्ग से मुख्यमंत्री की मांग हुई तो सिद्दरमैया के लिए मुश्किल होगी

- सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी से शिवकुमार की निकटता भी सिद्दरमैया के लिए चुनौती है।

:सिद्दरमैया की कमजोरी

- संगठन के स्तर पर पार्टी से जुड़ाव कमजोर

- उनके नेतृत्व में 2018 में कांग्रेस सत्ता में वापसी नहीं कर पाई थी

- पहले जद (एस) से जुड़े होने के कारण कांग्रेस का एक धड़ा अभी भी उन्हें बाहरी मानता है

- 75 साल के हो चुके सिद्दरमैया के लिए उम्र भी बड़ी चुनौती है। हालांकि इसमें एक भावुक पक्ष यह है कि उनका यह आखिरी चुनाव था और मुख्यमंत्री बनने का भी उनके पास आखिरी अवसर है।

डीके शिवकुमार की ताकत

- अपनी मजबूत संगठनात्मक क्षमता के दम पर चुनावों में पार्टी की जीत का आधार बने।

- पार्टी के प्रति निष्ठावान माने जाते हैं।

- मुश्किल समय में कांग्रेस के लिए ट्रबलशूटर माने जाते हैं- वोक्कालिगा समुदाय में व्यापक प्रभाव रखते हैं।

- राजनीति में बड़ा अनुभव है और सिद्दरमैया की तुलना में उम्र भी काफी कम है।

कमजोरी

- आयकर विभाग, ईडी और सीबीआइ जांच का सामना कर रहे हैं।

- जेल भी जा चुके हैं- जमीनी स्तर पर जनता के बीच पकड़ कमजोर है और सिद्दरमैया की तुलना में अनुभव कम है।

- पकड़ मोटे तौर पर ओल्ड मैसुरु क्षेत्र तक सीमित है।

- अन्य समुदायों का बड़ा समर्थन नहीं है।

चुनौती

- सिद्दरमैया के अनुभव, वरिष्ठता और जमीनी स्तर पर पकड़ से शिवकुमार को सबसे ज्यादा चुनौती मिलेगी।

- सिद्दरमैया की तुलना में कम विधायकों का समर्थन मिलने का अनुमान।

- राहुल गांधी का उनके पक्ष में न होना भी बड़ी मुश्किल बन सकती है।