महाराष्ट्र,  सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव ठाकरे को यह कहते हुए राहत देने से इनकार कर दिया कि उन्होंने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया। महाराष्ट्र के सियासी घटनाक्रम पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि अगर उद्धव ठाकरे इस्तीफा नहीं देते तो उन्हें अदालत की तरफ से राहत दी जा सकती थी।

सीजेआई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने कहा कि राज्य में शिंदे सरकार बनी रहेगी। कोर्ट ने कहा कि अगर उद्धव ठाकरे इस्तीफा नहीं देते तो हम राहत दे सकते थे। 16 विधायकों के अयोग्य ठहराए जाने वाले मामले में कोर्ट ने कहा कि इस मामले पर फैसला स्पीकर लें।

सीएम नीतीश कुमार से मिले उद्धव ठाकरे

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने उद्धव ठाकरे से मुलाकात की।

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस मौके पर कहा कि इस देश में प्रजातंत्र की रक्षा करना हमारा काम है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर मैं इस्तीफा नहीं देता तो शायद मैं फिर मुख्यमंत्री बन जाता। मैं मेरे लिए नहीं लड़ रहा, मेरी लड़ाई जनता के लिए, देश के लिए है। राजनीति में मतभेद होते रहते हैं लेकिन हमारा एक मत यह है कि इस देश को बचाना है।

उद्धव ठाकरे ने आगे कहा कि अगर इस मुख्यमंत्री (शिंदे) और उपमुख्यमंत्री(देवेंद्र फडणवीस) में जरा भी नैतिकता होगी तो इस्तीफा देना चाहिए जैसे मैंने इस्तीफा दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिंदे गुट का व्हिप गैरकानूनी- संजय राउत

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि स्पीकर को राजनीतिक दल द्वारा नियुक्त व्हिप को ही मान्यता देनी चाहिए। वहीं,सुप्रीम कोर्ट का यह भी कहना है कि गोगावाले (शिंदे समूह) को शिवसेना पार्टी के मुख्य सचेतक के रूप में नियुक्त करने का स्पीकर का फैसला अवैध था।

इसपर उद्धव गुट के नेता संजय राउत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिंदे गुट का व्हिप गैरकानूनी है, इसका मतलब है कि उनका व्हिप गैरकानूनी है और हमारे व्हिप ने जो आदेश दिया वह कानूनी है, तो उस व्हिप के मुताबिक सबकी(शिंदे गुट) सदस्यता निरस्त हो जाएगी।