वर्ष 2008 से लेकर 2015 तक करीब 30 बच्चों से दरिंदगी करने वाला सीरियल किलर रविंद्र वर्ष 2014 में पहली बार पुलिस के हत्थे चढ़ा था। जानकारी के मुताबिक 2014 में आरोपित ने बेगमपुर थाना इलाके में बच्चे को अपना शिकार बनाया था।

कुकर्म के बाद उस्तरे से काटा था बच्चे का गला

कुकर्म कर उस्तरे से बच्चे का गला काट दिया गया था। गला काटने के बाद बच्चे को नाले में फेंक दिया था। एक पुलिसकर्मी ने जब उसको देखा तो उसे अस्पताल लेकर गया। इस मामले में आरोपित को गिरफ्तार किया गया था।

लालच देकर बच्चों को सुनसान जगह पर ले जाता था रविंद्र

बेगमपुर में बच्ची से दुष्कर्म और हत्या का मामला 14 जुलाई 2015 का है। दहिया ने बताया कि रविंद्र ने सुबह साढ़े छह बजे बच्ची को खेतों की ओर शौच के लिए जाते देखा था। उसने बच्ची को दस रुपये दिए व खंडहर इमारत की दूसरी मंजिल पर लेकर गया।

वह बच्ची को अपनी हवस का शिकार बनाया। बच्ची को दस रुपये दिए। बाद में बच्ची की गला घोंटकर हत्या कर दी व उससे दुष्कर्म कर उसका शव पहली मंजिल की शाफ्ट में फेंक दिया। बच्ची के स्वजन ने जब पुलिस को शिकायत की तो दहिया ने उसका शव ढूंढा।

मानसिक रूप से बीमार है रविंद्र

अपने गुनाह को कबूल करने वाला रविंद्र इतना हैवान है कि वह बच्चों को मारने के बाद उनके शवों के साथ भी गलत काम करता था। यह बात उसने खुद मीडिया के सामने स्वीकार की थी। दहिया ने बताया कि आरोपित ज्यादातर गरीब परिवारों के बच्चों को अपना शिकार बनाता था। ये बच्चे या तो सड़क किनारे सोते थे।

अंग्रेजी हारर मूवी देखकर बना हैवान

रविंद्र 2008 में अंग्रेजी हारर मूवी (डरावनी फिल्म) देखकर हैवान बना। फिल्म देखने के बाद उसने पहली वारदात को अंजाम दिया। यह जानकारी 2015 में बेगमपुर मासूम हत्याकांड के जांच अधिकारी और दिल्ली पुलिस से एसीपी पद से रिटायर हुए जगमिंदर सिंह दहिया ने दी। रोहिणी कोर्ट ने शनिवार को रविंद्र कुमार को दोषी करार दिया है।

दहिया ने बताया कि जांच के दौरान पता लगा था कि छठी फेल रविंद्र ने बचपन में एक अंग्रेजी फिल्म देखी थी, जिसमें तीन लोग बच्चों की हत्या कर उनसे कुकर्म या दुष्कर्म करते थे। यह फिल्म देखने के बाद वह भी नशा कर बच्चों को अपनी हवस का शिकार बनाता गया।

तीस में से 14 आपराधिक मामलों को वह दिल्ली के कंझावला, समयपुर बादली, निहाल विहार, मुंडका, नरेला आदि इलाकों में अंजाम दे चुका था। पुलिस जब आरोपित को वारदात की जगहों पर लेकर गई थी तो कुछ जगह साक्ष्य नष्ट हो चुके थे।

कासगंज के नूरपुर में नहीं बची दुष्कर्मी की पहचान

तीस बच्चों के साथ दुष्कर्म और उनकी हत्या में दिल्ली के रोहिणी न्यायालय से दोषी ठहराया गया वहशी रविंद्र कुमार मूलरूप से गंजडुंडवारा के नूरपुर का रहने वाला था, लेकिन अब उसकी गांव में कोई पहचान नहीं बची है।

रविंद्र का परिवार 40 साल पहले ही गांव से पलायन कर चुका था। 2015 तक उसकी मौसी गांव में रहती थी। उनके मरने के बाद वह कभी नहीं आया। गांव के एक-दो बुजुर्गों को छोड़ कोई उसे जानता तक नहीं। रविंद्र का पिता 1983 में दिल्ली आ गया था।