नई दिल्ली, कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी है। सात बार के विधायक डीके शिवकुमार कर्नाटक में मंत्री पद भी संभाल चुके हैं। डीके शिवकुमार को कर्नाटक में कांग्रेस का संकटमोचक माना जाता है। कर्नाटक या गुजरात में जब भी कांग्रेस फंसी, तब डीके शिवकुमार ही थे जिन्होंने अपनी पार्टी को मुसीबत से बाहर निकाला।

डीके शिवकुमार को क्यों कहते हैं कांग्रेस का संकटमोचक

डीके शिवकुमार को कांग्रेस का संकटमोचक क्यों कहा जाता है, इसका उदाहरण उन्होंने 2018 में ही दे दिया था। बात 2018 के विधानसभा चुनाव की है। इस चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला था। हालांकि, भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। बहुमत साबित करने के लिए भाजपा को कुछ ही विधायकों को जरूरत थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। कहा जाता है कि ऐसा डीके शिवकुमार की वजह से हुआ। डीके की वजह से ही कांग्रेस और जेडीएस का एक भी विधायक पाला नहीं बदल सका और येदियुरप्पा सरकार नहीं बना सके।

गुजरात में भी साबित की वफादारी

दरअसल, गुजरात में राज्यसभा का चुनाव था। कांग्रेस की तरफ से अहमद पटेल चुनाव लड़ रहे थे। कई विधायक कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जा चुके थे। ऐसे में डीके शिवकुमार ने राज्यसभा चुनाव में पार्टी की जीत की जिम्मेदारी ले ली। डीके ने गुजरात कांग्रेस के सभी 44 विधायकों को बेंगलुरु में अपने रिसॉर्ट में भेज दिया। इसका असर ये हुआ कि एक भी विधायक पाला नहीं बदल सका और अहमद पटेल चुनाव जीतकर राज्यसभा पहुंच गए। यही वजह है कि वो सोनिया गांधी और राहुल गांधी के सबसे करीब नेताओं में से एक हैं।

सबसे अमीर नेताओं में से एक

डीके देश के सबसे अमीर राजनेताओं में से एक हैं। कर्नाटक में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए उन्होंने नामांकन दाखिल किया है। इसमें उन्होंने अपनी संपत्ति 1,413.78 करोड़ रुपये घोषित की है। वहीं, 2018 के चुनाव में उन्होंने 840 करोड़ रुपये की कुल संपत्ति की घोषणा की थी। 2013 के चुनावों से ये लगभग 590 करोड़ रुपये ज्यादा थी।

भ्रष्टाचार के लगे हैं आरोप

डीके शिवकुमार भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार भी हो चुके हैं। साल 2019 में शिवकुमार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग और कर चोरी के आरोप में गिरफ्तार किया था। शिवकुमार और उनके सांसद भाई डीके सुरेश का नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बयान दर्ज भी किया जा चुका है।