Air pollution Is Reducing The Effect Of Corona Vaccine:एयर पॉल्यूशन कितना खतरनाक है इस बात से हम सब इत्तेफाक रखते हैं. ये दुनिया के सबसे बड़े स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है. इसकी वजह से हर साल लगभग 70 लाख लोगों की मौत हो जाती है जिसमें 6 लाख  बच्चे भी शामिल होते हैं. ये रिपोर्ट विश्व स्वास्थ्य संगठन की है और अब एयर पोलूशन से जुड़ा एक और खतरा सामने आया है. हाल ही में हुई एक स्टडी में सामने आया है कि हवा में फैला प्रदूषण कोविड वैक्सीन के प्रभाव को कम कर रहा है. स्टडी के मुताबिक कोविड शुरू होने से पहले जो लोग एयर पोलूशन के उच्च स्तर के संपर्क में आए थे, उनमें कोविड वैक्सीन से बनने वाली एंटीबॉडी कम थी. वैज्ञानिकों ने ये बताया कि पीएम 2.5 नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और ब्लैक कार्बन जैसे प्रदूषक तत्व इंफेक्शन से पहले लोगों में IgM और IgG एंटीबॉडी रिस्पांस को 10 फ़ीसदी तक कम करने से जुड़े हुए पाए गए हैं

वैक्सीन लगने के बाद भी कम बनी एंटीबॉडी

जर्नल एनवायरनमेंटल हेल्थ पर्सपेक्टिव्स में प्रकाशित निष्कर्षों ने प्रतिरक्षा प्रणाली पर वायु प्रदूषण के प्रतिकूल प्रभावों के और सबूत भी प्रदान किए.शोधकर्ताओं की टीम ने 40 से 65 साल के 927 लोगों से मिले हुए डेटा का विश्लेषण किया. इन लोगों का ब्लड सैंपल लिया गया. यह ब्लड सैंपल 2020 में गर्मी के दिनों से लेकर 2021 से बसंत के दिनों तक लिए गए थे. इन सभी लोगों में कुछ को वैक्सीन की एक डोज तो कुछ लोगों को दोनों डोज लगी हुई थी. ये लोग स्पेन के रहने वाले थे, जिन्हें एस्टरजैनेका, फाइजर और मॉडर्ना वैक्सीन की डोज लगाई गई थी.

वहीं भाटिया अस्पताल, मुंबई के एमडी सीनियर कंसल्टेंट फिजिशियन, डॉ रितेश शाह ने कहा, “वायु प्रदूषण क्रोनिक सूजन को प्रेरित कर सकता है, जो टीके की प्रभावकारिता पर नकारात्मक प्रभाव से जुड़ा हुआ है. महामारी से पहले वायु प्रदूषण के उच्च स्तर के संपर्क में आने वाले लोगों में कोविड-19 टीकों के प्रति एंटीबॉडी प्रतिक्रिया कम होने की संभावना है. वहीं उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण टी हेल्पर लिम्फोसाइट्स टाइप 2 और टी हेल्पर लिम्फोसाइट्स टाइप 17 जैसे इम्यून रिस्पॉन्स के कारकों को बढ़ा देता है, जैसा कि एलर्जी और अस्थमा में देखा जाता है. इतना ही नहीं ये दोनों कारक एंटीवायरल इम्यून रिस्पॉन्स को भी बिगाड़ने का काम करते हैं.

आपको बता दें कि शोधकर्ताओं की टीम ने वैक्सीन में मौजूद तीन प्रकार के एंटीबॉडी IgM, IgG और IgA,और पांच प्रकार के वायरल एंटीजन जिसमें तीन स्पाइक प्रोटींस हैं उनकी जांच की. अध्ययन में परिणाम बताता है कि वह बीमारी से संक्रमित लोगों के pm2.5, N02 और ब्लैक कार्बन के संपर्क में आने से वैक्सीन से बनने वाली स्पाइक एंटीबॉडी में 5 से 10 फीसदी की कमी देखी गई.एंटीबॉडी की कमी शुरू में होने वाले IgM रिस्पॉन्स औऱ बाद में देखे गए IgG रिस्पॉन्स दोनों में ही कमी पाई गई.ये नतीजे सभी तरह के वैक्सीन पर बिल्कुल सेम पाए गए