सड़क के किनारे और डिवाइडर पर लगे पेड़-पौधों के चारों तरफ की जमीन को पक्का किए जाने और खुली जमीन नहीं छोड़ने से पर्यावरण को नुकसान होता है. जिसको लेकर उदयपुर झील संरक्षण समिति के सह सचिव डॉ. अनिल मेहता की और से नई दिल्ली के अधिवक्ता राहुल चौधरी, उदयपुर की कानूनविद और पर्यावरण हितैषी भाग्यश्री पंचोली ने एक याचिका दाखिल की थी.याचिका पर सुनवाई के दौरान पेश किए तथ्यों के बाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानि एनजीटी ने महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है. जिससे पर्यावरण सरंक्षण को बढ़ावा मिलेगा. एनजीटी ने इस मामले की व्यवस्थित जांच के लिए तीन लोगों की समिति का गठन किया है. इसमें जिला कलेक्टर उदयपुर, शुष्क वन अनुसंधान संस्थान, जोधपुर, राजस्थान से एक प्रतिनिधि और राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एक प्रतिनिधि को शामिल किया गया है. जिन्होंने मामले पर अपनी रिपोर्ट तैयार की और वो भी प्रस्तुत हुई.
एनजीटी ने अपने आदेश में सरकार और स्थानीय निकायों को निर्देशित किया है कि वो पेड़ों के आस-पास कंक्रीट नहीं लगाने दें. सड़क की स्थिति, जन सुरक्षा, पेड़ की प्रजाति और साइज के अनुसार पेड़ के आसपास पर्याप्त जगह छोड़े और शहरी ग्रीनिंग पर भारत सरकार की गाइड लाइंस का पालना करें. निगम और यू आई टी को आगामी 6 महीने में आदेश की पूर्ण पालना करनी होगी.
याचिकाकर्ता मेहता ने बताया कि एनजीटी का ये आदेश राजस्थान के साथ मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्य के लिए भी लागू होगा. उदयपुर झील संरक्षण समिति के सह सचिव डॉ. अनिल मेहता के साथ कानूनविद और पर्यावरण हितैषी भाग्यश्री पंचोली ने दिल्ली के अधिवक्ता राहुल चौधरी के साथ एनजीटी में याचिका दायर की थी.