नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। आपने पिछले कुछ महीनों में सुना होगा कि अदाणी ग्रुप पर अमेरिकी शॉर्टसेलर फर्म हिंडनबर्ग की ओर से रिपोर्ट आने के बाद शेयर बाजार नियामकों द्वारा ग्रुप के कुछ शेयरों को एएसएम लिस्ट में डाल दिया गया। ऐसे में कई लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि आखिर एएसएम लिस्ट क्या होती है और इसका क्या प्रभाव पड़ता है।
ASM लिस्ट क्या है?
एएसएम लिस्ट को एएसएम फ्रेमवर्क भी कहा जाता है। इसमें किसी भी शेयर को कीमत और वॉल्यूम में अत्याधिक उतार-चढ़ाव होने के आधार पर शामिल किया जाता है। इसका उद्देश्य निवेशकों के हितों की रक्षा करने के साथ उन्हें अलर्ट करना है।
कितने प्रकार की होती है ASM लिस्ट?
ASM लिस्ट दो प्रकार की होती है। पहला - लॉन्ग टर्म एएसएम लिस्ट और दूसरा - शॉर्ट टर्म एएसएम लिस्ट। मापदंडों के आधार पर ही शेयरों को अलग-अलग लिस्ट में शामिल किया जाता है। लॉन्ग टर्म एएसएम लिस्ट की चार स्टेज होती हैं, जबकि शॉर्ट टर्म एएसएम लिस्ट की दो स्टेज होती हैं।
ASM लिस्ट में शेयर के शामिल होने पर निवेशक को क्या करना चाहिए
किसी भी शेयर को एएसएम लिस्ट में शामिल करने पर निवेशकों को घबराने की जरूरत है, क्योंकि ये कदम नियामकों की ओर से निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए उठाए जाते हैं। इसका उद्देश्य शेयर में उतार-चढ़ाव को कम करना होता है।