कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच स्वास्थ्य विभाग के टेस्टिंग और ट्रेसिंग के दावे फेल साबित हो रहे हैं। सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों पर हर रोज तीन हजार से ज्यादा लोग बुखार, खांसी, जुकाम का इलाज कराने के लिए पहुंच रहे हैं। कोविड से मिलते जुलते लक्षण होने के बावजूद 30 फीसदी लोगों की कोरोना टेस्टिंग हो पा रही है। रविवार को भी स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट में 62 लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई है। पॉजिटिविटी रेट 5.37 हो गया है। बीते 24 घंटों में 35 संक्रमित ठीक हुए हैं। नौ मरीज अस्पताल में भर्ती हैं। यहां सक्रिय केस 298 हो गए हैं। वहीं कई स्कूलों में बच्चों को मास्क लगाकर आने का निर्देश भी दिया जा रहा है।

शासन की ओर से जारी गाइडलाइंस के मुताबिक, अस्पतालों में मास्क लगाना जरूरी है, लेकिन इक्का दुक्का लोग ही ओपीडी में मास्क लगाए नजर आते हैं। जिला अस्पताल की ओपीडी 2700 मरीजों की है जिसमें हर रोज औसतन 800 से ज्यादा लोग बुखार और खांसी की दवा लेने के लिए पहुंच रहे हैं। वहीं, पांच सीएचसी में हर एक की ओपीडी क्षमता करीब 400 मरीजों की है। इनमें खांसी, जुकाम बुखार के औसतन हर अस्पताल की ओपीडी में 130 के करीब मरीज पहुंच रहे हैं। राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) की 2000 मरीजों की ओपीडी में 50 प्रतिशत से ज्यादा मरीज बुखार की दवा लेने के लिए पहुंच रहे हैं, जिनको फ्लू ओपीडी में उपचार दिया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के जारी किए आंकड़ों के अनुसार अप्रैल माह में अब तक 7407 मरीजों की टेस्टिंग में 426 लोग कोरोना संक्रमित मिल चुके हैं।