बीच सड़क पर जलता मिला युवक, मौत से पहले बोला- पुलिसवालों ने जिंदा जला दिया है, अस्पताल पहुंचा दो

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ओम धगाल - पूर्व प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य भाजपा युवा मोर्चा

ओम धगाल की और से हिंडोली विधानसभा क्षेत्र एवं बूंदी जिले वासियों को रौशनी के त्यौहार दीपावली की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं

मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर में शनिवार रात एक व्यक्ति संदिग्ध परिस्थितियों में बीच सड़क पर जलता हुआ पाया गया और बाद में इलाज के दौरान रविवार को मौत हो गई।

गंभीर रूप से झुलसा व्यक्ति चिल्ला रहा था- मुझे अस्पताल ले चलो, मुझे पुलिसवालों ने आग लगा दी है। उसकी हालत देख कुछ लोगों ने आग को बुझाई और उसे अस्पताल लेकर पहुंचे लेकिन रविवार सुबह इंदौर में इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया।

जानिए क्या है पूरा मामला

इस घटना के वीडियो भी सामने आए हैं जिसमें वह उसे जलाने का जिक्र भी कर रहा है। उधर, पुलिस का दावा है कि युवक ने खुद ही आग लगाई थी। पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस व्यक्ति का नाम रिश्वत के एक मामले में सामने आया था। उन्होंने बताया कि पुलिस विभिन्न कोणों से घटना की जांच कर रही है। उन्होंने बताया कि यह घटना शनिवार रात की है और यह व्यक्ति कोतवाली पुलिस थाना क्षेत्र के एक सार्वजनिक शौचालय से जलता हुआ सड़क पर बाहर आया था और दर्द के मारे चीख रहा था।

कोतवाली थाना प्रभारी नरेंद्र सिंह परिहार ने बताया, ‘‘42 वर्षीय आसिफ पेंटर नाम के व्यक्ति को उज्जैन में शनिवार को सड़क पर जलता हुआ पाया गया। उसे प्राथमिक उपचार के बाद तुरंत इंदौर के एक अस्पताल में रेफर किया गया, जहां रविवार को उसकी मौत हो गई। वह इंदौर के गांधी नगर का रहने वाला था।’’ अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अभिषेक आनंद ने कहा, ‘‘इस घटना के वीडियो भी सामने आए हैं। वीडियो देखने के बाद लग रहा है कि इस व्यक्ति ने खुद को जलाया है। हालांकि, उसकी सघनता से छानबीन भी कर रहे हैं कि इसमें किसी और का हाथ है या नहीं।’’

उन्होंने कहा कि आसिफ दो दिन पहले सात अप्रैल को रिश्वत लेते हुए लोकयुक्त की गिरफ्त में आए चिमनगंज थाने में पदस्थ एक आरक्षक के एजेंट के रूप में सामने आया था। अधिकारी ने बताया कि यह आरक्षक क्रिकेट के सटोरिये पर दबाव बनाकर रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया था लेकिन उसने लोकयुक्त की टीम देख दौड़ लगा दी थी और रिश्वत की राशि 25,000 रुपये आसिफ को थमा दी थी। परिहार ने इस बात की भी पुष्टि की कि आसिफ वही व्यक्ति है जिसे आरक्षक ने सात अप्रैल को लोकायुक्त पुलिस की कार्रवाई के दौरान थाने से भागने के बाद पैसे सौंपे थे। उन्होंने कहा, ‘‘रिश्वत की रकम बरामद नहीं की जा सकी, क्योंकि आरक्षक ने इसे आसिफ को सौंप दिया था।’’