नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। आज के दौर में इनकम टैक्स भरना काफी आसान हो गया है। आप अपने लैपटॉप या फिर कम्प्यूटर की मदद से केवल एक क्लिक पर आसानी से इनकम टैक्स जमा कर सकते हैं, लेकिन पहले के समय ऐसा नहीं था। आपको इनकम टैक्स ऑफिस जाकर लाइन में लगकर टैक्स जमा करना होता था। आइए जानते हैं आखिर भारत में इमकम टैक्स फाइलिंग की शुरूआत कैसे हुई...

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की शुरुआत

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की स्थापना 1922 में हुई। इसे देश में टैक्स सिस्टम की आधारशिला माना जाता है। इसके बाद 1924 में सेंट्रल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू एक्ट लाया गया जो कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के कार्य को संभालता था। फिर इसके बाद धीरे-धीरे इसमें टैक्स प्रवाधानों को जोड़ जाने लगा और कई एडमिनिस्ट्रेटिव बदलाव भी किए गए।

इनकम टैक्स एक्ट 1961

सरकार की ओर से डायरेक्ट टैक्स प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए एक एडवाइजरी कमेटी गठित की गई थी। इसी के द्वारा आज के समय में लागू इनकम टैक्स एक्ट 1961 लाया गया, जो 1 अप्रैल, 1962 से लागू हुआ था। इसी में पहली बार रेवेन्यू ऑडिट को जोड़ा गया था। साथ ही में इसमें इनकम टैक्स अधिकारियों के कार्य के मूल्यांकन के लिए पहली बार नया सिस्टम भी लागू किया गया।

इनकम टैक्स एक्ट में बड़े बदलाव

  • सेंट्रल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू एक्ट 1963 के तहत सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (CBDT) की स्थापना की गई।
  • 1964 में एन्यूटी डिपॉजिट स्कीम की शुरुआत की गई।
  • 1981 में कम्प्यूटराइजेशन की शुरुआत हुई। शुरू में केवल चालान को ही कम्प्यूटर से भरा जाता था।
  • 1984-85 में महानगरों में तीन कम्प्यूटर सेंटर्स खोले गए, जिसमें SN-73 सिस्टम का उपयोग किया गया था। बाद में इसे 1989 तक 33 शहरों तक बढ़ा दिया गया। इसके बाद से पैन और टैन कम्प्यूटर सिस्टम की माध्यम से ही दिए जाने लगे।
  • 2002 में पूरे देश में कम्प्यूटर से रिटर्न भरने की सुविधा शुरू कर दी गई।
  • 2014 में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की नई वेबसाइट www.incometaxindia.gov.in लॉन्च की गई, जिसमें कई फीचर्स को जोड़ा गया।