नई दिल्ली। चुनावी प्रबंधन की कमजोरी को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहने वाली कांग्रेस कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तैयारियों में आश्चर्यजनक रूप से इस बार अपने विरोधियों से आगे नजर आ रही है। पिछले कई सालों से एंटनी समिति की रिपोर्ट के अनुरूप समय रहते पार्टी चुनावी तैयारियां पूरी कर लेने की कसौटी पर खरी नहीं उतर पा रही थी लेकिन कर्नाटक चुनाव में यह ट्रेंड कुछ हद तक बदला दिख रहा है।
चुनावी तारीखों की बुधवार हुई घोषणा से करीब हफ्ते भर पहले ही कांग्रेस ने सूबे की आधी से अधिक सीटों पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया था।
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भाजपा को घेर रही कांग्रेस
बहरहाल चुनावी प्रबंधन में सुधारों के बावजूद कर्नाटक में भाजपा की जातीय और सामाजिक ध्रुवीकरण के आखिर में चले गए सियासी दांव ने कांग्रेस की चुनावी राह की चुनौतियां बढ़ा दी है।
अल्पसंख्यकों को ओबीसी कोटे में दिए गए चार फीसदी आरक्षण खत्म
भाजपा सरकार के खिलाफ लोगों की नाराजगी के दावों के बीच चुनावी तैयारियों के लगभग सभी मोर्चेों को दुरूस्त रखने की इस रणनीतिक सफलता के बावजूद कर्नाटक चुनाव को पार्टी इसलिए आसान नहीं मान रही कि चुनावी तारीखों के ऐलान के चंद दिनों पहले ही बोम्मई सरकार ने अल्पसंख्यकों को ओबीसी कोटे में दिए गए चार फीसदी आरक्षण को खत्म कर दिया। साथ ही इस चार फीसदी कोटे को सूबे की दो सबसे प्रभावशाली जातियों ¨लगायत और वोक्कालिंगा के बीच दो-दो प्रतिशत बांट दिया है।