मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सोमवार को कहा कि एक सामंती मानसिकता वाले गरीब लोगों को असम में बाल विवाह उन्मूलन के लिए काम कर रही भाजपा सरकार के खिलाफ भड़काने की कोशिश कर रही है। विधानसभा में बोलते हुए सीएम सरमा ने कहा कि उनकी सरकार 2026 तक बाल विवाह उन्मूलन के लिए काम कर रही है और हर दो-तीन महीने में इसके लिए विशेष अभियान चलाए जाएंगे।
बाल विवाह अभियान के लिए आवंटित 200 करोड़ रुपये
कांग्रेस विधायक कमलाख्या डे पुरकायस्थ के एक सवाल के जवाब में सीएम सरमा ने दावा किया, ''विपक्ष का कहना है कि वे बाल विवाह के खिलाफ हैं। यह समर्थन (बाल विवाह के खिलाफ अभियान के लिए) हमेशा एक 'लेकिन' के बाद होता है।
सरमा ने कहा कि बाल विवाह से लड़ने के लिए अगले साल के बजट में 200 करोड़ रुपये आवंटित किए जाएंगे और इसका एक हिस्सा अधिवक्ताओं को भुगतान करने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा ताकि आरोपियों की सजा सुनिश्चित की जा सके।
बच्चियों की सुविधा के लिए उठाए जाएंगे कदम
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, एक समर्पित हेल्पलाइन, जागरूकता अभियान और पीड़ितों के पुनर्वास सहित अन्य कदम भी उठाए जाएंगे। साथ ही उन्होंने कहा, "अगर मैं किसी 22 वर्षीय लड़की को गुवाहाटी में पोस्ट-ग्रेजुएशन के लिए एडमिशन लेते हुए देखता हूं, तो वहीं, मैं चेंगा या बागबोर (बड़ी मुस्लिम आबादी वाले क्षेत्रों) जैसे स्थानों पर जाता हूं, तो मुझे इसी उम्र की लड़कियां दो बच्चों के साथ दिखाई देती है।
कानून के तहत चलाया जा रहा अभियान
सीएम ने कहा, "विधायकों, डॉक्टरों और इंजीनियरों के इतने बच्चे नहीं हैं, लेकिन, जब सरकार इन युवा लड़कियों को बचाने के लिए, गरीबों के लिए कुछ करने की कोशिश करती है, तो वे लोगों को भड़काते हैं कि भाजपा उनके जीवन में हस्तक्षेप करने की कोशिश कर रही है।"
सरमा ने कहा, यह सामंती मानसिकता है, जो अपने लिए जीवन का एक तरीका और गरीब लोगों के लिए दूसरा रास्ता तलाशती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बाल विवाह के खिलाफ अभियान एक कानून के तहत चलाया जा रहा है और इसलिए अदालत आरोपी को जमानत नहीं दे रही है।