#rahulgandhi इन दिनों सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है। इसके साथ ट्रेंड कर रहा है #tshirt. इसकी वजह है राहुल गांधी का दिल्ली की कड़ाके की सर्दी में सिर्फ टीशर्ट में घूमना। जिस ठंड की वजह से लोग हफ्तों नहीं नहाते, हीटर और अलाव के सामने बैठे रहते हैं, ऐसे में किसी को ठंड न लगे यह कैसे पॉसिबल है, यही जानेंगे आज जरूरत की खबर में। 

राहुल गांधी को नहीं लगती ठंड:आपके साथ भी ऐसा होता है; कम या ज्यादा ठंड लगने का समझें साइंस

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सवाल: ठंड का अहसास हमें क्यों होता है?

जवाब: सर्दी के मौसम में हमारे शरीर का तापमान आसपास के टेम्प्रेचर से ज्यादा होता है। इससे हमारे शरीर से हीट निकलती है और शरीर का टेम्प्रेचर कम हो जाता है। इसी वजह से हमें ठंड का अहसास होने लगता है। स्किन से ही हम आसपास के टेम्प्रेचर को महसूस करते हैं।

सवाल: राहुल गांधी की ही तरह कई दूसरे लोग भी हैं जिन्हें ठंड नहीं लगती है। ऐसा क्यों? क्या इसके पीछे कोई साइंस है?

जवाब: इसके 8 मुख्य कारण हैं…

ठंड सहने की आदत हो जाती है: जो लोग ज्यादा ठंड वाली जगह पर रहते हैं उनका शरीर उसी हिसाब से खुद को एडजस्ट कर लेता है। इसे ऐसे समझें, दिल्ली में रहने वाले को 2 डिग्री सेल्सियस टेम्प्रेचर में ठंड लगती है। अगर वह व्यक्ति भोपाल आएगा तो यहां 10 डिग्री में उसे ठंड नहीं लगेगी। इसी तरह भोपाल में रहने वाले को 10 डिग्री में काफी ठंड लगेगी और संभव है कि वह स्वेटर, कोट और टोपी पहने दिखे। कई लोग अपनी हैबिट्स की वजह से ठंड महसूस नहीं करते। जैसे कुछ लोग सर्दियों में भी सुबह ठंडे पानी से नहाने के बावजूद बीमार नहीं पड़ते। मगर गर्म पानी से नहाने वाले एक दिन अचानक ठंडे से नहाएंगे तो बीमार हो जाएंगे।

फिजिकल एक्टिविटी: रोजाना फिजिकल एक्टिविटी करने वालों का मेटाबॉलिज्म अच्छा होता है। इसलिए ऐसे लोगों को ठंड ज्यादा नहीं लगती है। जैसे भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी रोजाना कई किलोमीटर वॉक करते हैं। इस रेगुलर एक्सरसाइज की वजह से संभव है कि उनकी फिजिकल फिटनेस अच्छी हो गई है। इसलिए ठंड नहीं लगती। ऐसा कई स्पोटर्सपर्सन के साथ भी होता है।

हाइट कम तो ठंड लगेगी कम: बेक की लावल यूनिवर्सिटी के रिसर्चर जैकस ली ब्लैंक के अनुसार ठंड लगने या न लगने का सीधा संबंध हमारी शारीरिक बनावट से है। छोटे कद के लोगों की मसल्स से एन्वायर्नमेंट में कम हीट यानी गर्माहट रिलीज होती है। वहीं लंबे कद के लोगों की मसल्स से ज्यादा हीट एन्वायर्नमेंट में रिलीज होती है। इस वजह से छोटे कद के लोगों को कम ठंड लगती है।

बॉडी फैट तय करता है कि ठंड कितनी लगेगी: हमारा बॉडी फैट भी हमें ठंड से बचाता है। स्किन के नीचे मौजूद बॉडी फैट एक इंसुलेटर का काम करता है। इससे शरीर की गर्माहट बाहर नहीं निकल पाती।

एल्फा एक्टिनिक प्रोटीन की कमी से बढ़ जाती है ठंड झेलने की शक्ति: अमेरिकन जर्नल ऑफ ह्यूमन जेनेटिक्स में छपी एक स्टडी में भी इस मिस्ट्री के बारे में बताया गया है। इसमें कहा गया कि जिन लोगों के मसल फाइबर में एल्फा एक्टिनिक 3 नाम का प्रोटीन कम होता है, उन लोगों में ठंड झेलने की शक्ति बाकी लोगों से बेहतर होती है।

नर्व डैमेज: सर्दी या गर्मी महसूस करने में हमारे नर्वस सिस्टम का अहम रोल होता है। ऐसे में अगर नर्व पाथ-वे यानी नसों का वो रास्ता जिससे सिग्नल ब्रेन को जाता है उसमें कोई डैमेज हो जाए या ब्रेन में कोई इंजरी हो या ब्रेन स्ट्रोक हो जाए, तो सर्दी या गर्मी महसूस नहीं होती है।

कोंजिनेंटल इंसेंसिटिविटी: यह कंडीशन जन्म से ही होती है। यह एक बहुत रेयर कंडीशन है। इसमें पेशेंट को इंजरी होने पर भी दर्द का अहसास नहीं होता। साथ ही कुछ कंडीशन में सर्दी और गर्मी का अहसास भी नहीं हो पाता।

हाईपरथायराइडिज्म: जब थायराइड हार्मोन ज्यादा रिलीज होने लगता है तो इस कंडीशन को हाईपरथायराइडिज्म कहते हैं। इससे शरीर का मेटाबॉलिज्म बढ़ जाता है। जिससे गर्मी ज्यादा लगती है और ठंड का एहसास नहीं होता।

सवाल: क्या किसी तरह के खाने से ठंड के अहसास को कम कर सकते हैं?

जवाब: हां बिल्कुल। सर्दियों में ऐसी चीजें जो आसानी से नहीं पचाई जाती हैं, हमारे शरीर को गर्म रखती हैं। हेल्दी फैट्स, कार्बोहाईड्रेट्स और प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थ हमें ठंड से बचाते हैं।

रूट वेजिटेबल्स: मूली, शलजम और शकरकंद जैसी रूट वेजिटेबल्स आसानी से नहीं पचती हैं। इसलिए ये सर्दियों में हमें गर्म रखने का काम करती हैं।

कॉम्प्लेक्स कॉर्बोहाईड्रेट्स: ओट्स, होल ग्रेन्स और आलू में कार्बोहाईड्रेट्स कॉम्प्लैक्स फॉर्म में पाया जाता है।

अंडे और केले: केले में मौजूद विटामिन बी और मैग्नीशियम हमारी थाईरोड और एड्रिनल ग्लैंड को ठीक से काम करने में मदद करते हैं। ये ग्लैंड्स हमारे बॉडी टेम्प्रेचर को रेगुलेट करती हैं। वहीं प्रोटीन और विटामिन से भरपूर अंडों में काफी एनर्जी होती है। ये हमारे शरीर को सर्दियों में इंफेक्शन से लड़ने में मदद करते हैं।

कैफीन और मसाले: कैफीन और मसालों से हमारे शरीर का मेटाबॉलिज्म तेज होता है। इससे ये हमारा बॉडी टेम्प्रेचर बढ़ाने में मदद करते हैं।

आयरन रिच फूड्स: आयरन की कमी से भी बहुत से लोगों को ठंड ज्यादा लगती है। इसलिए सर्दी से बचने के लिए रेड मीट और पालक जैसी चीजें खाएं।

हेल्दी फैट्स: देसी घी, ड्राय फ्रूट्स और नट्स में भरपूर मात्रा में हेल्दी फैट्स पाए जाते हैं जो सर्दी से बचाने का काम करते हैं।

पानी: सर्दियों में लोग पानी बहुत कम पीते हैं। इससे ब्लड पतला हो जाता है और ठंड ज्यादा लगने लगती है। इसलिए पानी पीना बहुत जरूरी है। अगर सीधा पानी नहीं पी पा रहे हैं तो उसमें अदरक, तुलसी, दालचीनी डालकर उबालकर पी सकते हैं। इसके अलावा कई तरह की हेल्दी टी पी सकते हैं।

सीधे बैठकर या लेटकर आप अपने शरीर से निकलने और शरीर के अंदर आने वाली सांस के टेम्प्रेचर पर ध्यान लगा सकते हैं। गहरी सांस लें और नाक, मुंह और गले के आसपास ध्यान लगाएं।

गर्म चाय को आराम से बैठकर पूरे ध्यान के साथ पिएं। जापान में इस तरह की मेडिटेशन लंबे समय से लोग करते आ रहे हैं। इसे जापानी भाषा में चानोयू कहा जाता है।

सवाल: ठंड का हमारे शरीर पर क्या असर होता है?

जवाब: ठंड लगने से हमारा शरीर कुछ इस तरह रिएक्ट करता है यानी प्रतिक्रिया देता है…

रंग पीला हो जाता है: हमारे पूरे शरीर की स्किन पर थर्मोरिसेप्टर्स होते हैं। थर्मोरिसेप्टर्स नर्वस सिस्टम की वो सेल्स होती हैं जो टेम्प्रेचर में बदलाव की पहचान करती हैं। सर्दी के मौसम में ये थर्मोरिसेप्टर्स हमारे ब्रेन को सिग्नल भेजती हैं। जब ज्यादा ठंड लगने लगती है तो ब्लड वेसल्स को ब्रेन सिग्नल भेजता है। ब्लड वेसल्स सिकुड़ जाती हैं और ब्लड का फ्लो कम हो जाता है। इससे हीट लॉस कम होता है और शरीर की गर्माहट बनी रहती है। ब्लड फ्लो कम होने की वजह से शरीर का रंग पीला पड़ जाता है।

कंपकंपाना: जब हम कंपकंपाते हैं तो शरीर की कई मसल्स का इस्तेमाल होता है। इससे शरीर के टिश्यूज में गर्माहट पैदा होती है।

रोंगटे खड़े हो जाते हैं: शरीर पर मौजूद छोटे-छोटे बालों के नीचे की मसल्स सर्दी में सिकुड़ जाती है और वहां मौजूद बाल खड़े हो जाते हैं। इन्हें ही रोंगटे कहा जाता है। रोंगटे हमारी स्किन पर एक इंसुलेटिंग लेयर बना लेते हैं जिससे शरीर की गर्माहट बाहर नहीं निकल पाती है। हालांकि, इंसानों के शरीर पर म्यूटेशन होने की वजह से अब बाल कम हो गए हैं जिससे हमें गर्म कपड़े भी पहनने की जरूरत पड़ती है।

हार्मोन रिलीज होते हैं: हमारा शरीर सर्दी में गर्माहट बनाएं रखने के लिए मेटाबॉलिक रेट बढ़ा लेता है। इसके लिए कई तरह के हार्मोन और प्रोटीन रिलीज होते हैं।

सवाल: कुछ लोगों को ज्यादा ठंड क्यों लगती है? क्या यह कोई समस्या हो सकती है?

जवाब: ज्यादा ठंड लगने की कंडीशन को कोल्ड इंटॉलरेंस कहते हैं। ज्यादातर ये ऐसे लोगों को होता है जो किसी क्रोनिक बीमारी से जूझ रहे होते हैं या जिनके शरीर पर फैट कम होता है।

सवाल: ठंड में लोग बीमार क्यों होते हैं?

जवाब: इसकी मुख्य तौर पर ये 3 वजह हैं…

जब ठंड लगती है तो कुछ लोग बीमार महसूस करने लगते हैं। इसकी वजह साइकोलॉजिकल होती है।

कम टेम्प्रेचर और ड्राई एनवायर्नमेंट में वायरस जल्दी और आसानी से रिप्रोड्यूस कर लेते हैं। यही वायरस और जर्म्स सर्दी में हमें बीमार करते हैं।

सर्द हवाओं का सीधा असर हमारे रेस्पिरेटरी सिस्टम पर पड़ता है। पूरे साल रेस्पिरेटरी सिस्टम में एक म्यूकस की लेयर बनी रहती हैं, जो हमें जर्म्स से बचाकर रखती हैं। मगर सर्दियों में म्यूकस की यह लेयर कमजोर हो जाती है। इससे बीमार होने की आशंका बढ़ जाती है।

सवाल: ठंड लगने पर कंपकंपी क्यों छूटती है?

जवाब: ज्यादा ठंड लगने पर कंपकंपी छूटती है। दरअसल, जब शरीर को अहसास होता है कि ज्यादा टेम्प्रेचर की जरूरत है तो दिमाग हमारी मसल्स को कंपकंपी का सिग्नल भेजता है। इससे शरीर और आसपास का टेम्प्रेचर रेगुलेट हो जाता है और ठंड कम लगने लगती है।

कंपकंपी से मसल्स की एक्सरसाइज होती है जिससे हीट जनरेट होती है। इससे ठंड कम महसूस होती है।

चलते-चलते

किसी को कंपकंपाते हुए देखकर हमें ठंड क्यों लगने लगती है?

यूके की यूनिवर्सिटी ऑफ ससेक्स की एक रिसर्च के मुताबिक किसी को ठिठुरते या कंपकंपाते हुए देखने भर से ठंड लग सकती है। ब्राइटन और ससेक्स के मेडिकल स्कूल में की गई इस रिसर्च में वॉलंटियर्स को ठंडे पानी में हाथ डुबोते हुए लोगों की वीडियोज दिखाई गई। इसके बाद देखा गया कि वॉलंटियर्स का बॉडी टेम्प्रेचर कम हो गया।