-बहरामपुर में जलसा-ए-ग़ौसुलवरा 

गोरखपुर। बहादुर शाह जफ़र कॉलोनी बहरामपुर में जलसा-ए-ग़ौसुलवरा का आयोजन हुआ। ग़ौसे आज़म हज़रत सैयदना शैख़ अब्दुल क़ादिर जीलानी अलैहिर्रहमां को शिद्दत से किया गया याद। क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत हुई। नात व मनकबत अफरोज क़ादरी व कैसर आजमी ने पेश की। जलसा संचालन कारी जमील अहमद मिस्बाही ने किया।

अध्यक्षता करते हुए मौलाना रियाजुद्दीन क़ादरी ने कहा कि ग़ौसे आज़म हज़रत शैख़ अब्दुल क़ादिर जीलानी अलैहिर्रहमां ने दीन-ए-इस्लाम की बुनियाद मजबूत की। जिन्होंने अल्लाह की वहदानियत और क़ुरआन की अज़मत का आईना दिखाया। नेक लोगों का जिक्र ईमान और अकीदे में मजबूती पैदा करने का बेहतरीन जरिया है। 

मुख्य अतिथि मुफ्ती मेराज अहमद कादरी ने कहा कि इस्लामी तालीमात, क़ुरआन और हदीस का सबक अल्लाह से हासिल किया जाए तो ज़िदंगी में कभी गुमराही और दीन-ए-इस्लाम से दूरी नहीं हो सकती। 

विशिष्ट अतिथि कारी अफजल बरकाती ने कहा कि वलियों (अल्लाह के नेक बंदे) की बारगाह से तौहीद, इत्तेहाद और भाईचारगी का सबक मिलता है।

अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमन शांति की दुआ मांगी गई। अकीदतमंदों को लंगर-ए-ग़ौसिया खिलाया गया। जलसे में मौलाना सद्दाम हुसैन, गुलाम वारिस, कारी जमील अहमद, मौलाना शेर अली, मास्टर मुख्तार अहमद, शाकिर अली सलमानी, जाकिर वारसी, एडवोकेट अनीस अहमद, आकिब अंसारी, हाजी जलालुद्दीन कादरी, मिन्नतुल्लाह आदि ने शिरकत की।