अगले हफ़्ते अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाक़ात होने वाली है. इस मुलाक़ात के एजेंडे में ताइवान का मसला सबसे अहम हो सकता है.

जो बाइडन के साल 2020 में राष्ट्रपति बनने के बाद ये पहला मौका है जब दोनों राष्ट्र प्रमुखों की मुलाक़ात होगी.

हालांकि, ये मुलाक़ात ऐसे समय में हो रही है जब दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनाव की स्थिति बनी हुई है. इस तनाव की वजह ताइवान भी है.

अमेरिकी संसद के निचले सदन, हाउस ऑफ़ रिप्रेज़ेंटेटिव्स की स्पीकर नैंसी पेलोसी के अगस्त में ताइवान दौरे के बाद चीन और अमेरिका में तनातनी बढ़ गई थी.

चीन ने इसे 'वन चाइना पॉलिसी' का उल्लंघन कहा और ताइवान के एयरस्पेस के ऊपर उड़ानें भरी थीं. तब अमेरिका ने चिंता जताई थी कि चीन ताइवान पर हमला कर सकता है.

वहीं, अमेरिका ने कंप्यूटर चिप तकनीक तक पहुंच को बाधित कर दिया है जिससे चीन की निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था को चोट पहुंची है.

इस बैठक पर अमेरिका के एशियाई सहयोगी भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया की भी नज़र बनी हुई है. इन देशों के भी चीन के साथ रिश्तों में अक्सर टकराव देखने को मिलता है.