दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए 1 अक्टूबर से ही ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (Graded Response Action Plan) प्रभावी हो गया है। बावजूद इसके दिल्ली-एनसीआर में दिवाली से एक सप्ताह पहले ही वायु गुणवत्ता सूचकांक 200 के ऊपर पहुंच गया है। वायु प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के साथ वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग भी सक्रिय है। वायु प्रदूषण रोकने के लिए तरह-तरह के प्रयास किए जा रहे हैं।
बता दें कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए दिल्ली परिवहन विभाग ने कमर कस ली है। इसके तहत लगातार 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहन डी-रजिस्टर्ड किए जा रहे हैं। इसके इसके बात इन्हें सड़कों पर उतारने की अनुमति नहीं है।कुल 46 लाख पेट्रोल वाहन हुए डी-रजिस्टर्ड
मिली जानकारी के मुबातिक, दिल्ली में अब 53 लाख वाहन डी-रजिस्टर्ड हो चुकी है। इसमें 46 लाख पेट्रोल से संचालित वाहन हैं, जबकि चार लाख वाहन डीजल के शामिल हैं। पिछले चार सालों में यह संख्या सबसे अधिक संंख्या है। इससे पहले 2018 में 22 लाख वाहनों का दिल्ली परिवहन विभाग की ओर से डी-रजिस्टर्ड किया गया ता।
दिल्ली परिवहन विभाग ने कहा है कि बेहतर है कि लोग पुराने हो चुके अपने वाहनों को कटवा दें या दूसरे राज्यों में करा लें पंजीकृत। परिवहन विभाग उन्हें दूसरे राज्यों में पंजीकृत कराने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र भी देगा। इसके अलावा डीजल व पेट्रोल वाहनों के इलेक्ट्रिक में बदलने का भी विकल्प लोगों के पास होगा। साथ ही यह भी कहा गया है कि दिल्ली में इसे लागू करन में अभी समय लगेगा।
यहां पर बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दिल्ली-एनसीआर में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को प्रतिबंधित कर दिया गया है। ऐसे में अगर प्रतिबंधित वाहनों को सड़कों पर उतारा गया तो इन्हें स्क्रैप करने का प्रविधान है।