गोलाघाट के ऐतिहासिक श्री श्री आठखेलिया नामघर के संचालन को लेकर लम्बे समय से चला आ रहा संघर्ष सोमवार को इस पवित्र स्थल के मुख्यद्वार पर ताला जड़ने तक पहुंचने की घटना ने यहां आने भक्तों को दर्शन के बिना ही निराश होकर लौटने पर मजबूर कर दिया। गोलाघाट जिले की ऐतिहासिक श्री श्री आठखेलिया नामघर राज्य की प्रमुख धार्मिक उपासना स्थलों में से एक है। जहां क्षमता में बने रहने के लिए दो गुटों में लम्बे समय चला आ रहा संघर्ष श्रद्धालुओं को ठेस पहुंचा रहा है। इस नामघर के संचालन की जिम्मेदारी को लेकर लम्बे समय से चल रहे संघर्ष ने कल मर्यादा की सारी सीमाएं लांघते इस पवित्र स्थल के मुख्यद्वार पर ताला जड़े जाने की घटना ने समूचे असम के साथ ही श्रद्धालुओं को अचंभित कर डाला। मात्र क्षमता पाने की जिद में वर्ष 2016 में इस ऐतिहासिक नामघर के प्रांगण में मारपीट की घटना हुई और यह मामला गुवाहाटी हाईकोर्ट में विचाराधीन होने के बाद कर्णधार समिति और पूर्व संचालन समिति के बिच आरोप प्रत्यारोप, तनातनी जारी है। इस विवाद के जारी रहने पर परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए कल बड़ी संख्या में पुलिस और सुरक्षा वाहिनी की नियुक्ति कर दंडाधीश, अतिरिक्त उपायुक्त यहां उपस्थित रहकर दोनों पक्षों के बिच मध्यस्थता कराए जाने का प्रयास भी असफल रहा। उल्लेखनीय है कि 9 सितम्बर को पूर्व संचालन समिति ने गुवाहाटी हाईकोर्ट के निर्देश पर एक आम सभा बुलाई और उक्त सभा में सर्वसम्मति द्वारा पूर्व संचालन समिति को भंग कर एक नई समिति का गठन किया गया। लेकिन उक्त नव गठित समिति को कर्णधार समिति ने अवैध घोषित करते हुए आरोप लगाया कि उक्त आम सभा में सभी खेलों के लोगों को आमंत्रित नही किया। साथ ही उक्त सभा में शामिल लोगों को किराए पर लाए जाने का आरोप लगाया है। लेकिन इस बिच कर्णधार समिति ने के रूकावटों को दरकिनार करते हुए नवगठित समिति ने पूर्व के सभी आरोप प्रत्यारोपों को खत्म कर कार्यभार ग्रहण करने के इरादे से नामघर पहुंची थी। लेकिन कर्णधार समिति ने किसी भी परिस्थिति में नवगठित समिति को स्वीकार करने के उलट नामघर के मुख्यद्वार पर ताला जड़ दिया और इन्हें कार्यभार ग्रहण न करने की चेतावनी दे डाली। जिसके बाद दोनों पक्षों के बिच विवाद शुरू हो गया। इस तनातनी के बिच ही नवगठित समिति ने नामघर के मुख्यद्वार पर ताला जड़े जाने के विषय को लेकर स्थिति काफी तनावपूर्ण होने पर जबरन ताला तोड़ने पर आमादा दिखे। वहीं इस परिस्थिति को देख रहे स्थानीय युवकों ने तृतीय पक्ष की ओर से संचालन समिति और कर्णधार समिति को क्षमता की लालसा में इस धार्मिक स्थल के माहौल को बिगाड़ने की बात कही और दोनों पक्षों को रोकने के साथ ही जिला प्रशासन को हस्तक्षेप करने की मांग की। अंत में जिला प्रशासन के हस्तक्षेप पर मुख्यद्वार पर लगा ताला खोल दिया गया। हालांकि इस विवाद के चलते भारी संख्या में श्रद्धालुओं को निराश होकर लौटना पड़ा। इस विवाद के अंत में एक और घटना सामने आई जो सभी को झकझोर गई। यहां तैनात पुलिस कर्मियों ने अपनी ड्यूटी खत्म होने के बाद नामघर के बाहर हाथ जोड़कर प्रार्थना करते हुए उनकी ड्यूटी के दौरान यदि कोई भूलचुक हुई तो उसके लिए परमेश्वर से क्षमा याचना कर पुनः लौट जाने की घटना ने सभी के दिल को छू गई।
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