हम जितना ज्यादा पेड़ पौधे काटेंगे ये देखने में आएगा की उतनी ही शहर की आबादी बढ़ेगी |८४लाख योनिओं में से एक पेड़ की भी योनि होती है | पेड़ो को काटने से रोकने के लिए कई सख़्त कानून आए है|
डब्लूएचो (वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन) के एक आंकड़े में ये बताया गया है की विश्व के ८० प्रतिसत लोग हर्बल दवाओं पर निर्भर है | डब्लूएचो का मन्ना है की करीब २१००० तरह के पेड़ो को दवाओ के रूप में उपयोग लाया जा सकता है | डेवलप्ड देश जैसे की अमेरिका में २५% दवाए पोधो से बनी है , भारत और चीन जैसे डेवलपिंग देशो में ८०% दवाये पोधो से बनती है | इतना सब कुछ के बाद भी रिसर्च में कमी है | १९९९ में डबलूएचओ ने तीन वॉल्यूम की मोनोग्राफ बनाई थी हर्बल दवाओ की | होम्योपेथी में पूरे पौधे से दवा बनाई जाती है , एलोपैथी वाले अल्कलॉइड्स और एक्टिव प्रिंसिपल्स को निकल कर दवा बनाते है | आयुर्वेद को ज्योतिष से भिन्न नहीं किया जा सकता | बृहतसंहिताकार वराहमिहिर ने पेड़ों को लेकर लिखा है कोनसा पेड़ लगाए और कौनसा नहीं , किस दिशा में लगाए और किस दिशा में नहीं|
पेड़ की योनि एक कष्ट दायक योनि है , ही हे जगह पे खड़े रहने की , कोई पत्ता तोड़ता है, कोई फल, कोई फूल, कोई गोंद निकलने के नाम पे लहू लुहान करता है, कोई टहनियां तोड़ता है |। सबसे प्रताड़ित योनि पेड़ो की होती है। पेड़ो के प्रति संवेदनसील हो, उन्हें अनावश्यक कष्ट न दे ।
तुलसी, धतूरा की ओरा बहुत अधिक है। तुलसी के वास्तु दोषों का निवारण करती है । औसधी गुणों वालो पेड़, पौधे सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते है | दूध वाले, काँटेदार पोधो को लगाने की मनाई है |