7 लाख 32 हजार से अधिक पशु मर चुके हैं तथा 20 लाख एकड़ जमीन में फसल नष्ट हो गई है। घरों में खाने का अनाज सड़ने लगा है।

1500 से अधिक लोगों के मरने की खबर है जिनमें 350 बच्चे हैं। 2 लाख 87 हजार घरों को नुकसान पहुंचा है।

सिंध व बलुचिस्तान में इस बार सामान्य से चार गुणा अधिक बारिश हो चुकी है तथा यह अभी भी जारी है।

जलवायु परिवर्तन का इससे खतरनाक रूप भारतीय उपमहाद्वीप में अब तक देखने को नहीं मिला था। जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा कारण कार्बन उत्सर्जन है जोकि हम पल प्रतिपल कर रहे हैं।

औद्योगिक क्रांति के प्रारंभ होने से पहले अर्थात सन् 1880 से पहले वायु में कार्बन डाइऑक्साइड कि मात्रा 280 PPM थी जो अब बढ़ कर लगभग 420 PPM हो गई है। हम बड़ी तेज गति से विनाश सोरी विकास कर रहे हैं। हमारी अर्थव्यवस्थाएं छलांगे मार रही है जल्दी ही हम सभी छलांग मारते नजर आयेंगे।

इस विकास के मॉडल को तुरन्त प्रभाव से बदलने की जरुरत है !

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