कोटा। लैंडमार्क सिटी कुन्हाड़ी स्थित संगीत - वाटिका संगीत संस्थान में संगीत सीख रहे विद्यार्थियों ने अपने हुनर से सभी को रोमांचित कर दिया। संस्थान में संगीत प्रशिक्षण लेने वाले विद्यार्थियों ने शास्त्रीय, उपशास्त्रीय, लोक संगीत एवं सुगम संगीत विधाओं में नृत्य, गायन, वादन की एक से बढ़कर एक मन मोह लेने वाली प्रस्तुतियाँ दी। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों श्रीमती वंदना माथुर एवं श्री शैलेंद्र शर्मा द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। संगीत वाटिका संस्थान की निदेशक डॉ. शिल्पी सक्सेना ने बताया कि मंच प्रदर्शन बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बहुत आवश्यक है। नई प्रतिभाओं को मंच देने से उनमें सकारात्मक ऊर्जा, सृजनात्मकता, कुशल नेतृत्व करने की क्षमता एवं एकाग्रता का संचार होता है। डॉ. शिल्पी सक्सेना ने बताया कि संगीत शिक्षा का उद्देश्य जरूरी नहीं कि अधिक पेशेवर संगीतकार तैयार करना हो। इसका उद्देश्य संगीत सीख रहे बच्चों और युवाओं में सकारात्मक ऊर्जा युक्त संपूर्ण व्यक्तित्व का निर्माण करना है, जिनके पास आलोचनात्मक विचार हों, जिज्ञासु दिमाग हो, जो उत्पादक जीवन जी सकें और राष्ट्र निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें। शास्त्रीय नृत्य में सैंधवी गोस्वामी, कौशिकी गोस्वामी, आर्वी सक्सेना, कुशाग्री अलरेजा एवं जीवांशी अलरेजा ने कथक नृत्य की प्रस्तुतियां दी। लोक नृत्य में प्रतिक्षा, ध्रुति, जानवी, समीक्षा, अनम्या सक्सेना, अनिष्का गौतम ने प्रस्तुतियां दी। वाद्यवृंद के अंतर्गत सिंथेसाइजर पर हिमांक, करुनांजलि, पहल, मेधावि एवं दर्श जैन ने, गिटार पर दर्शिल, कोंगो पर अथर्व एवं ढोलक पर देव जैन ने एक से बढ़कर एक धुन बजाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। शास्त्रीय गायन में रावतभाटा से कमलेश महावर एवं अविका सक्सेना ने राग - गायन की प्रस्तुति दी। अतिथि कलाकारों संजय शर्मा, कुलदीप नथिया, विवेक शर्मा, विशाल सक्सेना एवं डॉ. रुचि जौहरी ने सुगम संगीत में एक से बढ़कर एक गीतों की श्रृंखला प्रस्तुत की। अतिथियों द्वारा संस्था के सभी विद्यार्थियों को प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए। अंत में संगीत - वाटिका के संस्थापक सत्यनारायण गोस्वामी ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने बताया कि बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए संगीत वाटिका संस्थान गत 20 वर्षों से गायन, वादन और नृत्य विधाओं का कुशल प्रशिक्षण दे रही है और इस तरह के आयोजनो के लिए प्रतिबद्ध है।