सड़क हादसे में मौत यूपीएससी की परीक्षा देने गया था युवक। 

जनपद जौनपुर के तहसील शाहगंज तरना स्थित भेल के पास बीते दिन शनिवार की देर रात तेज रफ्तार वाहन की टक्कर से यूपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा देने आए।एक युवक की मौत हो गई। सूचना पाकर शिवपुर थाने की पुलिस ने युवक के परिजनों को सूचना देकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया। युवक पांच बहनों का इकलौता भाई था।सूत्रों से जानकारी मिली कि जनपद जौनपुर के शाहगंज थाने के गोल्डागौर गांव निवासी, जयप्रकाश पांडेय का बेटा धीरज पांडेय (27) यूपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा देने के लिए।बीते दिन शनिवार को बस से कैंट स्टेशन पहुंचा। लंका स्थित अपना परीक्षा केंद्र देखने के बाद धीरज ने अपने पिता को शाम के समय फोन किया कि अब वह तरना स्थित चाचा के घर जा रहा है। रविवार को चाचा के घर से ही परीक्षा देने जाएगा। रात लगभग 11 बजे तरना स्थित भेल के समीप धीरज सड़क पार कर रहा था। उसी दौरान गिलट बाजार से बाबतपुर की ओर जा रहे एक तेज रफ्तार वाहन ने धीरज को टक्कर मार दी। वाहन की टक्कर से धीरज की मौत हो गई। इस संबंध में शिवपुर थानाध्यक्ष ने बताया कि सीसी कैमरों की मदद से युवक को टक्कर मारने वाले वाहन को चिह्नित करने का प्रयास किया जा रहा है। पिता बोले- बेटे को कभी कोई कमी नहीं होने दी,पुलिस की सूचना पर आए जयप्रकाश पांडेय और उनकी पत्नी गीता देवी इकलौते बेटे का शव देखकर अचेत हो गए। परिजन दोनों को बड़ी मुश्किल से संभाले हुए थे। जयप्रकाश ने बिलखते हुए कहा कि खेती करता हूं, लेकिन बेटे को कभी कोई कमी नहीं होने दिया। पढ़ाई और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए उसने जब जो कहा, वह करता चला गया। वाहन की तेज रफ्तार और चालक की गलती से हमारा पूरा परिवार बिखर गया।हमारे लाल ने तो अभी जिंदगी जीना शुरू किया था।शाहगंज जवान बेटे का शव लेकर अंतिम संस्कार करने पहुंचे पिता बेसुध थे। हवा भी जैसे रुंध गई थी। जिस बेटे की कंधे पर मां-बाप ने अपनी अंतिम यात्रा की उम्मीद लगाई थी, आज उसी बेटे की चिता को पिता ने कांपते हाथों से अग्नि दी। जय प्रकाश की आंखों से आंसू नहीं, शायद जिंदगी बह रही थी। बेटे धीरज के निर्जीव देह को मुखाग्नि देते हुए जैसे उन्होंने अपनी सारी उम्मीदें, सारे सपने जला दिए।मां गीता तो फूट-फूट कर रो रही थी, विलाप कर रही थी हे भगवान, इससे पहले हमें उठा लेते, हमारा लाल तो अभी जिंदगी जीना शुरू किया था... धीरज अभी 27 वर्ष का ही था। होशियार, मेहनती और घर का सहारा। पर किस्मत ने ऐसी करवट ली कि अचानक एक सड़क हादसे ने उसकी जिंदगी छीन ली। गांव भर के लोग स्तब्ध हैं। लोग कह रहे थे कुदरत ने न्याय नहीं किया… कंधे बदल गए, रिश्ते उलट गए, और एक परिवार हमेशा के लिए अधूरा हो गया। बड़ी बहनें मोनम पांडेय और सोनम पांडेय की आखों का तारा था धीरज। छोटी दोनों बहनें साक्षी और ब्यूटी का रो-रोकर बुरा हाल है।