आठ मन से तीन मन पर आ गया उत्पादन फीकी हुई जमैथा के खरबूजे की खेंती। 

थाना जफराबाद जनपद जौनपुर में, इत्र, इमरती और मक्का- मूली के लिए,प्रसिद्ध है। इसके साथ ही यहां के जमैथा के खरबूजे भी खूूब प्रसिद्ध है,लेकिन इस फल की खेती को प्रकृति की बुरी नजर लग गई है। कभी खरबूजे की प्रति बीघे आठ मन की पैदावार होती थी, लेकिन आज यह घटकर आधी पहुंच गई है। किसानों का कहना है कि छुट्टा पशुओं से परेशान उन्होंने इसकी खेती बंद कर दी है। काश्तकार बोआई अप्रैल से शुरू करते हैं।और उत्पादन जून तक होता है। किसानों की आमदनी घटकर 20 से 25 हजार रुपये प्रति बीघा तक आ गई है। पहले 50 से 55 हजार रपये प्रति बीघा मुनाफा होता था। तीन साल पहले तक किसान इसी की कमाई से घर के मांगलिक कार्य करते थे लेकिन अब हालात बदल गए। अब खरबूजे की खेती बंद कर अन्य फसलों की खेती करते हैं।पहले 200 एकड़ में होती थी खेती-जिले में गोमती नदी किनारे बसे जमैथा गांव में 14 मौजों अखड़ो बस्ती, शिवपुर, रामनगर, कैथोली, दुमटी, जमैथा, गड़ही, बंगाली वीर आदि क्षेत्र में लगभग 200 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल में खरबूजा की खेती होती थी। यह फल जनपद ही नहीं पूरे पूर्वांचल में निर्यात किया जाता है। छुट्टा पशु भी बने खेती के लिए चुनौती-किसानों ने बताया कि छुट्टा पशु जैसे नील गाय, सुअर, गाय आदि खरबूजे की फसल को नुकसान पहुंचाता है। इन पर रोकथाम के लिए कई बार शिकायत की गई लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। मजबूरन किसानों ने ही खेती बंद कर दी।पहले की अपेक्षा घटा उत्पादन और निर्यात-क्षेत्रीय किसान बोधई मौर्या, चंद्रबली मौर्या, अनिल सिंह आदि ने बताया कि पर्यावरण प्रदूषण के चलते खरबूजे की खेती पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। पहले की अपेक्षा उत्पादन घट गया है। पहले जहां एक पौधे में 20 फल लगते थे वहीं अब संख्या आधे से भी कम हो गए हैं। पहले जहां एक बीघा में 8 मन खरबूजा पैदा होता था, वहीं अब यह घटकर 3 मन रह गया है।हाईब्रिड बीज से कम हो गई मिठास-अधिकांश किसान अधिक उत्पादन पाने के लिए हाईब्रिड बीज बो रहे हैं। जमैथा की खरबूजे की मिठास तभी कायम रह सकती है जब पुरवा हवा चले। इसकी पैदावार बलुई मिट्टी में होती है। यह नदी का पानी बढ़ने या फिर दो-तीन साल में आने वाली बाढ़ के सहारे खेतों में पहुंचती है। ऐसा न हाईब्रिड बीज बोने से खरबूजे की मिठास पर असर पड़ता है।मीठे खरबूजे की पहचान: खरबूजे का रंग देखकर भी पता लगाया जा सकता है कि ये मीठा है या फीका। अगर खरबूजा बाहर से पीला है और उस पर जाली जैसी हरी धारियां हैं तो ये अंदर से मीठा होगा अन्यथा फीका होगा।जमैथ के खरबूजे प्रसिद्ध हैं। पहले जिले में इसका खूब उत्पादन था लेकिन अब बंद है। इसका कारण छुट्टा पशुओं का आतंक। किसान इनसे परेशान हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती। डाॅ. रमेश चंद यादव, उप परियोजना निदेशक।