बालोतरा, 08 मार्च। शनिवार को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया है। 

सीएमएचओ डॉ. वांकाराम चौधरी ने बताया कि हर साल विश्व भर में यह दिवस एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है। ये दिन महिलाओं को समर्पित है। आज आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, खेल हर क्षेत्र महिलाओं की उपलब्धियों से भरा हुआ है। भारत की बात करें, तो यहां की स्त्रियों में असीम संभावनाएं हैं और वे तमाम तरह की उपलब्धियां हासिल भी कर रही हैं, जिसमें भारतीय संविधान और कानून का विशेष योगदान है। यह यात्रा 1950 में संविधान लागू होने के साथ शुरू हो गई थी। इसमें महिला और पुरुष दोनों को बराबर माना गया है।

आधुनिक दौर में एक महिला एक पूर्ण चक्र है। उसके भीतर सृजन, पोषण और परिवर्तन की असीम शक्ति है। यह शक्ति और भी प्रबल तब हो जाती है जब एक महिला घर की दहलीज से बाहर आकर खुद को कामकाजी महिलाओं के कतार में खड़ी करती है। वास्तव में कामकाजी महिलाएं ही महिला सशक्तीकरण की पर्यायवाची और पूरक हैं। अपने शहर में एक ठेले पर सब्जी बेचने से लेकर बड़े उद्योग की ऑनर तक ऐसे कई उदाहरण हैं आज चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टर व महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता पदों पर ज्यादातर महिलाएं हैं, जो महिला सशक्तीकरण की मिशाल पेश कर रही हैं। महिलाओं में अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने का जुनून बढ़ा है। स्टार्टअप खोल रही हैं। अब वह आर्थिक गुलामी से मुक्त हो चुकी है।

जिला कार्यक्रम अधिकारी विजय सिंह ने बताया कि पिछले 25 वर्षों में महिलाओं ने कानून के बल पर बिल्कुल बराबरी का अधिकार पा लिया है। सन 2005 में हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) एक्ट द्वारा संयुक्त परिवार की बेटी को संपत्ति में बेटे के बराबर अधिकार दिया गया। यह अधिकार जन्म के साथ प्राप्त है। विवाह के बाद भी कई ऐसे अधिकार हैं, जिनसे स्त्रियां लाभ उठा सकती हैं। अब उनकी शारीरिक, मानसिक, आर्थिक प्रताड़ना पर रोक लगाई गई है। लिंगानुपात बेहतर हो रहा है। स्टेम (STEM) यानी साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स में आधे एडमिशन लड़कियों के हो रहे हैं। एनडीए और सैनिक स्कूलों में लड़कियों के एडमिशन हो रहे हैं। आर्म्ड फोर्सेज में महिलाओं को परमानेंट कमिशन मिल गया है। अब कार्यस्थल पर महिलाओं का शारीरिक, मानसिक और भौतिक शोषण काफी हद तक रुक गया है। 

इसके अलावा महिला दिवस का मकसद महिलाओं के अधिकारों को लेकर जागरूकता फैलाना भी है ताकि उन्हें उनका हक मिल सके और वह पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सकें। राजनीति हो, विज्ञान हो, खेल हो या फिर कला और व्यापार हर जगह महिलाएं कमाल कर रही हैं। अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी महिलाएं जबरदस्त उपलब्धियां हासिल कर रही हैं। स्कूल की बोर्ड परीक्षाओं तक में लड़कियां जमकर टॉप कर रही हैं। उनका पास प्रतिशत लड़कों से ज्यादा रहता है। हर साल इंटरनेशनल वूमेन्स डे एक थीम के साथ मनाया जाता है। इस साल महिला दिवस के लिए थीम 'एक्सीलरेट एक्शन (Accelerate Action)' तय की गई है। इसका मतलब है अपने प्रयासों में तेजी लेना। यह थीम लैंगिक समानता की तत्काल आवश्यकता पर जोर देती है। विश्व आर्थिक मंच के आंकड़ों के अनुसार वर्तमान गति से 2158 तक भी पूर्ण लैंगिक समानता हासिल नहीं की जा सकती है। यह थीम सरकारों, संगठनों और व्यक्तियों से बाधाओं को दूर करने और महिलाओं के लिए समान अवसरों के माहौल को बढ़ावा देने के लिए सामूहिक प्रयासों को प्रोत्साहित करती है।