बाड़मेर। शहीदों के बलिदान को अमर रखने और उनके परिवारों को हरसंभव सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से भाजपा नेता स्वरूप सिंह खारा ने “मालाणी के सूरमा” के नाम से एक नवीन पहल का आगाज करेंगे। इसकी जानकारी खारा ने गुरुवार को प्रेसवार्ता कर दी।
इस अभियान के तहत शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रशासनिक सहायता, सामाजिक सम्मान, विद्यालय-सड़क नामकरण और प्रतिमा स्थापना जैसे महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे। ताकि, शहीद परिवारों को उचित सम्मान और सुविधाएँ मिल सकें।
स्वरूप सिंह खारा ने प्रेसवार्ता में कहा कि देश की रक्षा के लिए प्राण न्यौछावर करने वाले वीर सपूतों के परिवारों के साथ खड़ा होना हम सभी का नैतिक कर्तव्य बनता है। इस पहल का पहला चरण आज से शुरू हो चुका है और इसे निरंतर आगे बढ़ाया जाएगा। ताकि, अधिक से अधिक शहीद परिवारों को इसका लाभ मिल सके। यह पहल न केवल बाड़मेर बल्कि पूरे राजस्थान में एक मिसाल बनेगी और शहीदों के परिवारों के लिए सशक्त बनाने, सहयोग और सम्मान का प्रतीक होगी।
शहीदों के बच्चों को शिक्षा के लिए आर्थिक सहयोग
शहीदों के बच्चों को स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा तक आर्थिक सहयोग दिया जाएगा। शहीदों के बच्चों को मुख्य धारा में लाने के लिए शिक्षा सहायता के रूप में हमारा कार्य शिक्षा और स्वास्थ्य के स्तर पर काम होगा। शिक्षा से अभिप्राय ये है कि जो शहीद परिवार आर्थिक रूप से स्थिर नहीं है। उन परिवार के बच्चों के लिए एक टीम काम करेगी। जिसमें स्कूली शिक्षा के साथ कॉलेज स्तर की शिक्षा, प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी, IIT और NEET कोचिंग के लिए भी आर्थिक सहयोग किया जाएगा।
नि:शुल्क मिलेगा हेल्थ सुविधा
शहीद परिवारों के सदस्यों को नि:शुल्क चिकित्सा सेवाएँ उपलब्ध कराने के लिए विशेष स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया जाएगा। साथ ही ज़रूरत मुताबिक सरकारी योजनाओं से भी जोड़ा जाएगा।
सरकारी स्कीमों को दिलवाया जाएगा फायदा
शहीद परिवारों की समस्याओं को प्राथमिकता से हल करने के लिए प्रशासनिक स्तर पर सहायता दिलाई जाएगी और उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे।
शहीद परिवारों को मिलेगा सम्मान
समाज में शहीद परिवारों को उचित सम्मान दिलाने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे और उनकी वीरता की कहानियों को जन-जन तक पहुँचाया जाएगा। शहीदों के बलिदान को चिरस्थायी बनाने के लिए उनके नाम पर विद्यालयों, सड़कों और सार्वजनिक स्थलों का नामकरण किया जाएगा। ताकि, आने वाली पीढ़ियाँ उनके शौर्य से प्रेरणा ले सकें। शहीदों की स्मृति को संजोने के लिए स्थानीय स्तर पर उनकी प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी। जिससे समाज में उनके प्रति गर्व और सम्मान बना रहे।