बून्दी ब्रह्माकुमारी संस्था के बूंदी सेवा केंद्र के तत्वदान में तिरुपति विहार स्थित प्रभु प्राप्ति भवन में चल रहे पांच दिवसीय मेडिटेशन शिविर कार्यक्रम "बढ़ते कदम खुशियों की ओर" के अंतर्गत "राजयोग अनुभूति" विषय को स्पष्ट करते हुए ब्रह्माकुमारी तुलसी दीदी जी ने बताया जीवन प्रभु का मूल्य अपार है और हर मनुष्य यही चाहते हैं कि मेरे जीवन की क्वालिटी बहुत अच्छी हो कभी कोई तनाव न हो, कभी कोई अवसाद ना हो, जीवन हमेशा खुशी- खुशी जीते रहें। यह भावना रहती है लेकिन चलते-चलते कोई ना कोई परिस्थिति ऐसी आ जाती है जो व्यक्ति चिंता या तनाव में गिर जाता है। यह महसूस करता है कि जीवन में कोई ना कमी कोई ना कोई कमी जरूर है क्योंकि कमी के कारण ही मन में नकारात्मक भावनाएं उत्पन्न होती हैं सकारात्मकता से हम दूर चले जाते हैं। आखिर कमी का कारण क्या है इंसान सकारात्मक रहना चाहता है, सकारात्मक जीना जीना चाहता है फिर भी उसके बावजूद ऐसी भावनाएं क्यों आती हैं जीवन में एक ही गुण की कमी है और वह आध्यात्मिकता। आध्यात्मिकता प्रभु का वरदान है जिस तरह जीवन एक उपहार है इस जीवन को क्वालिटी बनाना वाला बनाना हो गणों वाला बनाना हो, खुशियों से भरपूर बनाना हूं सकारात्मक जीवन में अपना ना हो तो उसकी पूंजी है आध्यात्मिकता लेकिन यह वरदान जिसे प्राप्त हो जाए मैं सचमुच अपने जीवन को बहुत सुंदर बना लेता है आज मनुष्य काआन्तरिक खालीपन उसको ईश्वर की ओर ले जा रहा है अब भीतर से परमात्मा द्वारा उसे आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करने की चाह जग रही है। इसलिए दुनिया में मेडिटेशन का करेज अब बढ़ता जा रहा है मेडिटेशन अर्थात् ध्यान। लेकिन गीता में कहा गया है ज्ञान के बिना नहीं। राजयोग मेडिटेशन द्वारा हम पहले तो हम स्वयं जानते हैं और फिर हमें परमात्मा के बारे में ज्ञान मिलता है वो कौन है कहां रहते हैं आत्मा से परमात्मा का क्या संबंध है तभी तो हम उनको याद कर पाएंगे। अभी जसीम का था करते हैं हम परमात्मा को सिर्फ अपनी बात सुनाती हैं वह हमें क्या कहना चाहते हैं, हमसे क्या बात कर रहे हैं, यह नहीं सुनते राजयोग मेडिटेशन अनुभूति के द्वारा हम परमात्मा से मिलन मनाते, परमात्मा से बात कर सकते हैं जो कह रहे हो हम समझ सकते हैं। परमात्मा से आत्मा का संबंध है जिसे हम मेडिटेशन द्वारा अनुभव करते हैं।संबंध कोई दो या दो दिन का नहीं होता। यह भावनाओं का रिश्ता है जब हम सच्ची भावना से परमात्मा को याद करते हैं तो वह हमसे बात करतें है उस हम उनकी बात को समझने में भी सक्षम हो जाते हैं यही विधि राजयोग मेडिटेशन कहलाती है परमात्मा की शक्ति पाकर और आत्म चिंतन के द्वारा धीरे-धीरे हमारी स्थूल और सूक्ष्म कर्मेंद्रिय भी हमारे नियंत्रण में रहती हैं। कार्यक्रम में प्रसिद्ध इतिहासकार गिनीज वर्ल्ड बुक रिकॉर्डर डॉक्टर शांतिलाल नागोरी , डॉक्टरेट रश्मि दाधीच, डॉक्टर सी एल दाधीच, पूर्व महिला बाल विकास अधिकारी शोभा पाठक पांच दिवसीय मेडिटेशन शिविर के अनुभव साझा किया। डॉ एस एल नागौरी ने कहां मेडिटेशन सबसे अच्छा टॉनिक है जो हमारे तन और मन दोनों को स्वस्थ रखता है। यह मेडिटेशन सभी के लिए आसान है ब्रह्मा कुमारीज द्वारा सिखाया जा रहा मेडिटेशन पूर्णत: निशुल्क है। विशेष तौर से हम सभी को जो हमारे बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं उनको प्रेरित करना चाहिए ताकि वह मेडिटेशन से अच्छी एकाग्रता को प्राप्त कर अच्छे संस्कारों को सीख सके।
केंद्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी रजनी दीदी ने बताया आए हुए सभी श्रोताओं ने इस विधि को गहराई से जानने की इच्छा जाहिर की तो उसके लिए आगामी राजयोग शिविर का भी आयोजन किया जा रहा है जो 17 फरवरी से 25 फरवरी तक चलेगा। जिसका समय सुबह 7 से 8:00 बजे शाम को 3:30 से 4:30 और 7:00 से 8:00 रहेगा।