तिल चौथ 17 जनवरी शुक्रवार को, चौथ माता मंदिर होगा मेले का भव्य आयोजन
चौथमाता मंदिर परं 2 लाख से ज्यादा श्रद्धालु करेंगे दर्शन
बून्दी। संकट चतुर्थी व तिल चौथ पर बाणगंगा पहाड़ी पर स्थित चौथमाता के दरबार में भक्ति और श्रद्धा का सैलाब दिखाई पड़ेगा। यहाँ तिल चौथ के अवसर पर भव्य मेले का आयोजन होगा, जिसमें अलसुबह दूर दराज से करीब 2 लाख श्रद्धालु माता के दरबार में मत्था टेकेंगे और परिवार सहित जिले की सुख समृद्धि की कामना करेंगे। मंदिर में बूंदी और हाड़ौती से श्रद्धालु आते हैं। मंदिर समिति की ओर से मेले को लेकर व्यापक व्यवस्था जुटाई गई है, वहीं पुलिस प्रशासन भी शांति व्यवस्था बनाने के लिए चौकस रहेगा। मंदिर मार्ग में मेले में पग-पग पर श्रद्धालुओं के लिए विभिन्न संगठनों की ओर भंडारे का आयोजन किया जाएगा।
चौथ माता ट्रस्ट के अध्यक्ष गोपाल लाल गुर्जर, सचिव पुरुषोत्तम नुवाल ने बताया कि 16 जनवरी को जागरण, 17 को मुख्य मेले का आयोजन और 19 जनवरी को मेले का समापन होगा। चौथ माता के दरबार में ढाई से तीन लाख के करीब श्रद्धालुओ के आने की उम्मीद को लेकर ट्रस्ट की और से व्यापक बंदोबस्त किए गए हैं। संरक्षक रामकल्याण मीणा व केशियर शंकरलाल मेवाड़ा ने बताया कि पुलिस प्रशासन भी शांति व्यवस्था बनाने के लिए चौकस रहेगा। पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र कुमार मीना ने बताया कि अत्यधिक भीड़ को देखते हुए दो एडिशनल एसपी, पांच डीवाईएसपी, आधा दर्जन से अधिक थानाधिकारी सहित सादा वर्दी में पुलिसकर्मी सहित आरएसी का जाप्ता तैनात रहेंगे। वहीं पुलिस निगरानी के लिए ड्रोन का उपयोग भी करेगी। उन्होंने महिलाओं से अपील की है कि ये महंगे गहने पहनकर नहीं आये। साथ ही किसी अनहोनी घटना की सूचना पुलिस को दे। इसी प्रकार बीबनवा रोड स्थित चौथ माता मंदिर में माता जी का चौथ पर विशेष श्रृंगार किया जाएगा। मंदिर से जुड़े विनोद सिंह ने बताया कि 17 जनवरी को शाम 5 बजे बाद 151 दीपक से महा आरती की जाएगी और श्रद्धालुओं को प्रसाद भेंट करेंगे।
मीरा गेट से दलेलपुरा तक यातायात रहेगा बंद
यातायात मार्ग में रहेगा परिवर्तन यातायात प्रभारी बहादुर सिंह गौड़ ने बताया कि मेले में दर्शनार्थ आने वाले श्रद्धालुओं की आवाजाही को देखते हुए यातायात मार्ग में परिवर्तन किया गया है। जिसके तहत बून्दी से दबलाना जाने वाले वाहन फूलसागर रोड दलेलपुरा से होकर गुजरेंगे। वहीं शहर के अहिंसा सर्किल, बहादुर सिंह सर्किल, मीरा गेट, रामद्वारा व दलेलपुरा के यहां बैरीकेटिंग की जाएगी। यहां से वाहनों की आवाजाही पूर्णतया बंद रहेगी।
हाड़ा चौहानों ने की थी मंदिर की स्थापना
बून्दी के चौथ माता के मंदिर की स्थापना बून्दी के हाड़ा चौहान राजवंश द्वारा की गई थी। कहा जाता हैं कि मातेश्वरी ने बून्दी नरेश को स्वप्न में दर्शन देकर मन्दिर बनवाने का आदेश दिया था। कुछ समय पूर्व मन्दिर का पुनर्निर्माण मन्दिर समिति द्वारा करवाया गया है। बून्दी में चौथ माता का हाड़ौती भाषा का एक लोक गीत प्रचलित था “मन्दिरियो चूणवा दे हाड़ा राव“ जो भाषा व लोकगीतों को संरक्षण न मिलने के कारण लुप्त हो गया। आज भी गांवो में बड़े बुजुर्ग इस गीत/भजन को गाया करते हैं।
संकटों से मुक्ति पाने के लिए करें संकट चतुर्थी का व्रत
माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी ही संकट या संकटा चौथ कहलाती है। इसे वक्रतुंडी चतुर्थी, माही चौथ, तिल अथवा तिलकूट चतुर्थी व्रत भी कहते हैं। पुराणों में इस संकट चतुर्थी का विशेष महत्व बताया गया है। विशेषकर महिलाओं के लिए इस व्रत को उपयोगी माना गया है। मान्यता है कि इस चतुर्थी के दिन व्रत रखने और भगवान गणेश की पूजा करने से जहां सभी कष्ट दूर हो जाते हैं, वहीं इच्छाओं और कामनाओं की पूर्ति भी होती है। माघ माह में ब्राह्मण को तिल व गुड़ का दान करने से सभी प्रकार के जीव जंतु जनित पीड़ादायक नरकों से मुक्ति का विधान शास्त्रों में बताया गया है। इस दिन भगवान गणेश का चौथ माता सहित पूजन किया जाता है।
दान पुण्य के साथ ईश आराधना का विशेष महत्व
श्री मुद्गल ज्योतिष अनुसंधान एवं शिक्षण संस्थान के ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद कुमार गौतम के अनुसार पूजन में श्रद्धा व भाव का विशेष स्थान होता है। यदि आपके पास अधिक सामग्री न भी हो तो सच्चे मन से की गई किसी भी देवता की आराधना का फल अवश्य मिलता है। इस दिन माता सहित मंगलमूर्ति श्रीगणेश का पंचामृत से स्नान करने के बाद फल, लाल फूल, अक्षत, रोली, मौली अर्पित करना चाहिए। तिल से बनी वस्तुओं अथवा तिल-गुड़ से बने लड्डुओं का भोग लगाना चाहिए। भगवान श्री गणेश की अर्चना के साथ चंद्रोदय के समय अर्घ्य दिया जाता है। इस वर्ष तिल-संकटा चौथ पर चंद्रोदय का समय 17 जनवरी, शुक्रवार को रात्रि 09.20 मिनट पर रहेगा। महिलाओं के दीर्घ समृद्धि गृहस्थ जीवन से संबंधित होने के कारण इस व्रत को सौभाग्य सुंदरी व्रत के रूप में भी किया जाता है। दान पुण्य के साथ ईश आराधना का विशेष महत्व है साथ ही भगवान गणेश सहित चौथ माता के दर्शन व अथर्वशीर्ष के पाठ, गणेश मंत्र दृ ’ॐ श्री गणेशाय नमः’ का जाप 108 बार किया जाना श्रेष्ठ रहेगा।
राशि अनुसार इस प्रकार करें आज दान
इस दिन तिल दान करने का अत्यधिक महत्व होता है। इस दिन गणेशजी को तिल के लड्डुओं का भोग लगाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार देवी-देवताओं में सर्वोच्च स्थान रखने वाले विघ्न विनाशक भगवान गणेश की पूजा-अर्चना जो लोग नियमित रूप से करते हैं, उनकी सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी होती है। मंगलमूर्ति और प्रथम पूज्य भगवान श्रीगणेश को संकटहरण भी कहा जाता है। ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद कुमार गौतम के अनुसार इस दिन निम्न राशि वालों को इन पदार्थ का दान करना विशेष फलदायी रहेगा -
मेष और वृश्चिक राशि - जातक सफेद व काले मिश्रित तिल
वृषभ व तुला राशि - सफेद तिल
मिथुन व कन्या राशि- सफेद तिल व गुड़
कर्क राशि - सफेद तिल
सिंह राशि - रक्त चंदन के साथ सफेद तिल
धनु व मीन राशि - काले तिल के साथ गुड़
मकर व कुम्भ राशि - काले तिल