खोजा गेट रोड स्थित अग्रवाल आई एंड स्किन हॉस्पिटल मे एक ऐसे व्यक्तित का मोतियाबिन्द ऑपरेशन किया गया जिसकी आंख मे मायोपिया नाम की बीमारी के कारण मायनस 22 नम्बर का चश्मा था। ऑपरेशन करने वाले नेेत्र विशेषज्ञ व फेको सर्जन डॉ. संजय गुप्ता ने बताया कि ये अत्यंत दुर्लभ मामला था। बूंदी निवासी लोकेश दाधीच को बचपन से ही हाई मायोपिया नाम की आंखो की बीमारी हो गई, डॉ. गुप्ता ने बताया कि इस रोग मे आंखो की लम्बाई सामान्य से बहुत अधिक हो जाती है, जिससे आंख का नम्बर मायनस की तरफ बढता चला जाता है, इस रोगी को मायनस 22 नम्बर का चश्मा लगता था।

 *बचपन से कम दिखने से बहुत 

 परेशानी हुई* 

रोगी ने बताया कि इतना अधिक नम्बर होने से बिना चश्मे के 2-3 मीटर का भी नही दिखता था, पूरी जिंदगी मोटे चश्मे से बहुत प्रॉब्लम हुई, बहुत दुख उठाए, पढाई भी पूरी नही कर पाया, गाडी चलाने व आम जिंदगी के कई कामो मे बहुत समस्या होती थी।

अभी कुछ महीनो पहले मोतियाबिन्द का रोग भी आंखो मे हो गया तो रोशनी पहले से भी कम हो गई। कई नेत्र चिकित्सको ने मायनस का इतना अधिक नंबर होने के कारण ऑपरेशन जटिल होना बताकर दिल्ली बॉम्बे जाने की सलाह दे दी। रोगी ने अंततः बूंदी मे अग्रवाल आई एंड स्किन हॉस्पिटल के मुख्य नेत्र सर्जन डॉ. संजय गुप्ता को दिखाया तो उन्होंने इस जटिल मोतियाबिन्द ऑपरेशन को करने का साहसी निर्णय लिया। डॉ. संजय गुप्ता ने बताया कि सबसे पहले रोगी को रेटिना विशेषज्ञ को दिखाया गया, फिर ऑप्टिकल बायोमीट्रिक जांच से लेंस का सटीक नम्बर की जांच की गई, फिर ओसीटी मशीन से पर्दा जांच किया गया। उसके बाद विस्कोट इंजेक्शन काम मे लेते हुए टोपिकल फेकोइमल्सिफिकेशन तकनीक से बिना इंजेक्शन, बिना टांके व बिना पट्टी अमेरिकन सेंसार थ्री पीस लेंस प्रत्यारोपण किया गया और रोगी को संपूर्ण रोशनी बिन्दास चश्मे के आ गई।