मानवजनित गतिविधियों एवं अपशिष्ट जल के प्रवाह से नवल सागर झील अत्यधिक प्रदूषित
बूंदी शहर की नवल सागर झील पर किए शोध कार्य पर दीक्षा को मिली पीएचडी की उपाधि
बून्दी। कोटा विश्वविद्यालय में पीएचडी की उपाधि हेतु बून्दी शहर की नवल सागर झील के जल में प्रदूषण सूचक शैवाल समूह क्लोरोफाइसी प्रजाति की विविधता की पहचान के साथ-साथ जल गुणवत्ता का अध्ययन किया गया। वनस्पति शास्त्र विभाग की शौधार्थी दीक्षा द्वारा किए गए शोध के परिणामों से स्पष्ट हुआ कि मानवजनित गतिविधियों एवं अपशिष्ट जल के प्रवाह के कारण नवल सागर झील वर्तमान में अत्यधिक प्रदूषित हो चुकी है। जिसका प्रभाव जलीय इकोसिस्टम पर पड़ रहा है। वर्तमान समय में मानव जनित क्रियाकलापों को रोककर इस झील की जल गुणवत्ता को सही करना नितांत आवश्यक है।
बूंदी शहर की नवल सागर झील पर किए शोध कार्य पर दीक्षा को मिली पीएचडी की उपाधि
बून्दी। कोटा विश्वविद्यालय में पीएचडी की उपाधि हेतु बून्दी शहर की नवल सागर झील के जल में प्रदूषण सूचक शैवाल समूह क्लोरोफाइसी प्रजाति की विविधता की पहचान के साथ-साथ जल गुणवत्ता का अध्ययन किया गया। वनस्पति शास्त्र विभाग की शौधार्थी दीक्षा द्वारा किए गए शोध के परिणामों से स्पष्ट हुआ कि मानवजनित गतिविधियों एवं अपशिष्ट जल के प्रवाह के कारण नवल सागर झील वर्तमान में अत्यधिक प्रदूषित हो चुकी है। जिसका प्रभाव जलीय इकोसिस्टम पर पड़ रहा है। वर्तमान समय में मानव जनित क्रियाकलापों को रोककर इस झील की जल गुणवत्ता को सही करना नितांत आवश्यक है।
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“बूंदी शहर की नवल सागर झील में क्लोरोफाइसी पर मौसमी विविधता और यूट्रोफिकेशन“पर आधारित शोध अध्ययन पूर्ण किए जाने पर शोधार्थी दीक्षा को कोटा विश्वविद्यालय द्वारा पीएचडी की उपाधि प्रदान की गई। शोधार्थी दीक्षा ने अपना शोध कार्य राजकीय महाविद्यालय बूंदी में कार्यरत वनस्पति शास्त्र विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. दिलीप कुमार राठौड़ के निर्देशन में पूर्ण किया। एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. दिलीप कुमार राठौड ने बताया कि शोध के दौरान नवल सागर झील के किए गए अध्ययन में मानवजनित गतिविधियों एवं अपशिष्ट जल के प्रवाह के कारण नवल सागर झील वर्तमान में अत्यधिक प्रदूषित हो चुकी है। वर्तमान में मानव जनित क्रियाकलापों को रोककर इस झील की जल गुणवत्ता को सही करना नितांत आवश्यक है। नवल सागर झील में अनगिनत जलीय कछुए, मछलियों के साथ प्रवासी पक्षियों की मौजूदगी रहती हैं।
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वेटलैंड घोषित हैं नवल सागर झील
पारिस्थितिकीय तंत्र सुदृढ़ करने व जलीय जीवों सहित पक्षियों के लिये बेहतर खाद्य श्रृंखला उपलब्ध सहित पर्यावरण संरक्षण एवं जल संचयन व शुद्धिकरण की दिशा में शहर की नवल सागर झील को 19 जुलाई 2023 को राज्य सरकार द्वारा वेटलैंड किया गया हैं। वेटलैंड की बफर सीमा के साथ-साथ इन क्षेत्रों में निषिद्ध और विनियमित गतिविधियों को निर्धारित हो गई हैं, फिर भी इस झील में अपशिष्ट जल के प्रवाह के कारण नवल सागर झील वर्तमान में अत्यधिक प्रदूषित हो रही हैं।
ऐतिहासिक हैं नवल सागर झील
नवल सागर झील बून्दी में पर्यटन का आकर्षण केन्द्र है, इस कृत्रिम झील को तारागढ़ किले से भी देखा जा सकता है। बूंदी में नवल सागर झील में बीच में भगवान वरुण को समर्पित मंदिर स्थित हैं, जो मंदिर पानी में आधा डूबा है। नवल सागर झील का एक अन्य आकर्षण यह है कि झील के पानी में बूंदी के किलों और महलों का प्रतिबिंब देखा जा सकता है।
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