महिलाएं सीता की तरह हो ना की बिकाऊ शोरूम की वस्तु-पं.रवि गौतम
कनवास. श्री कर्णेश्वर नगरी में गौशाला समिति के तत्वाधान आयोजित सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के समापन अवसर पर हवन यज्ञ और महाप्रसादी के साथ कथा सम्पन्न हुई। अध्यक्ष त्रिलोक विजय व सदस्यों ने बताया कि श्री कर्णेश्वर गौशाला के तत्वाधान में सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन महात्मा गांधी खेल मैदान में हो रहा था, प्रति दिन कथा सुनने के लिए क्षेत्र सहित कस्बे से श्रद्धालु कथा का श्रवण करने आते थे और भजनों पर खूब झूम उठते है। कथा की शुरुआत के पश्चात कस्बे में कर्णेश्वर महादेव मंदिर से भागवत को यजमान रामप्रसाद शर्मा द्वारा सिर पर धारण कर व महिलाओं द्वारा कलश को सिर पर धारण कर भव्य कलश यात्रा मुख्य बाज़ार से होते हुए धूमधाम से कथा स्थल पर पहुंची। कथा पांडाल में भगवान की झाकियां सजाकर लीलाओं का वर्णन किया गया। वहीं सात दिवसीय कथा में वाचक पं. रवि गौतम कांदाफल वालों द्वारा कहा गया कि सुदामा से हमें दोस्ती और भक्ति की महत्ता का पता चलता है, सुदामा ने अपने दोस्त श्री कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण का परिचय दिया और बदले में उन्हें श्री कृष्ण की कृपा प्राप्त हुई। शबरी चरित्र से हमें पता चलता है कि भक्ति और समर्पण की कोई उम्र नहीं होती। शबरी ने अपने जीवन के अंतिम दिनों में भी श्री राम की भक्ति में लीन रहीं और उनकी भक्ति को देखकर श्री राम ने उन्हें अपने दर्शन दिए। बगैर सत्संग जीवन अधूरा है, संत हमें जीवन के सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं और हमें जीवन के उद्देश्य को समझने में मदद करते हैं, गुरु कृपा ही संसार सागर से पार लगाती है गुरु हमें जीवन के सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं और हमें जीवन के उद्देश्य को समझने में मदद करते हैं। नारी शक्ति को संबोधित करते हुए कहा कि वे अपने जीवन को इस तरह से जीना चाहिए कि वे सीता की तरह हों, न कि कोई बिकाऊ शोरूम की वस्तु। नारी शक्ति को अपने कपड़े ऐसे नहीं सिलने और पहने चाहिए कि सब देखें, जैसे कि शोरूम में वस्तुओं को सजाकर कांच के अंदर दिखाकर रखा जाता है, अपने जीवन में सम्मान और गरिमा को बनाए रखना चाहिए। उन्हें अपने शरीर को कपड़ों से ढकना चाहिए और किसी भी तरह के दिखावे से बचना चाहिए। समापन के दौरान हवन यज्ञ की बोली मोहनी बाई सोनी के द्वारा 55,555 रुपये पर तय की गई, इस अवसर पर पुत्र मधुसूदन सोनी, कौशल सोनी सहित परिवार साथ रहे। समिति के आयोजकों ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक पल है,हमें भागवत कथा के महत्व को समझने का अवसर दिया है। कथा में यजमान द्वारा हवन कुंड में आहुतियां दी गई और महाप्रसादी वितरण कर सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा का समापन हुआ। इस दौरान क्षेत्र के माधोपुर, आवाँ, जालमपुरा,जगदीशपुरा, हिंगोनिया, मांडूहेडा, पानाहेडा, धुलेट सहित दूर-दराज से कहीं श्रद्धालु कथा का श्रवण करने पहुंचे।