Honda Nissan Partnership जापानी कंपनियां ऑटोमोबाइक सेक्टर दुनिया में काफी सक्रिय है। दुनिया को ऐसा ऑटोमोबाइल बाजार नहीं है जहां पर जापानी ऑटोमेकर अपनी गाड़ियों की बिक्री नहीं करती हों। अब एक बड़ी खबर आ रही है कि जापानी ऑटोमेकर Honda और Nissan आपस में विलय करने वाली है। जापानी फाइनेंशियल न्यूजपेपर निक्केई के मुताबिक यह दोनों एक हो सकती हैं।
हाल में एक रिपोर्ट आई थी जिसमें बताया गया था कि ग्लोबल लेवल पर निसान अगले 14 या 15 महीनों में बंद हो सकती है। रिपोर्ट में कहा गया था कि कोई मजबूत निवेशक नहीं मिलता है तो निसान को अपने ऑपरेशन को चालू रखने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, अब एक रिपोर्ट सामने आई है जिसके मुताबिक, होंडा और निसान दोनों कार कंपनियों का विलय हो सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह दोनों कंपनियां Tesla, BYD, Toyota और Vinfast जैसी इलेक्ट्रिक कार कंपनियों से मुकाबला करने के लिए ऐसा कर सकती हैं।
मित्सुबिशी मोटर्स भी मिलाएगा हाथ
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, निसान और होंडा एक ही जगह पर काम करने के बारे में विचार कर रही हैं। यह दोनों कंपनियां जल्द ही इस समक्षौते पर हस्ताक्षर भी कर सकते हैं। जापानी फाइनेंशियल न्यूजपेपर निक्केई के मुताबिक, इस विलय में होंडा और निसान के साथ मित्सुबिशी मोटर्स भी आ सकती है। दरअसल, मित्सुबिशी में निसान की बड़ी हिस्सेदारी भी है। जिसे देखते हुए इन तीनों कंपनियों के एक छत के नीचे आने की संभावना और भी ज्यादा बढ़ गई है। अगर ऐसा होता है तो यह तीनों मिलकर दुनिया का सबसे बड़े ऑटो ग्रुप में से एक बना देगी। हालांकि, निसान और होंडा की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन ये दोनों कंपनियां एक साथ मिलकर काम करने के तरीकों की तलाश कर रही हैं
होंडा और निसान क्यों आएंगी साथ?
- होंडा और निसान ने मार्च में घोषणा की थी कि वे दोनों इलेक्ट्रिक गाड़ियों को बनाने के लिए यह पार्टनरशिप कर सकती हैं। इसे बाद दोनों की तरफ से अगस्त में यह कहा गया कि वह बैटरी तकनीक पर एक-दूसरे का सहयोग करेंगी, लेकिन दोनों कंपनियां अपने इस संबंध का और भी ज्यादा फायदा उठा सकते हैं, क्योंकि दोनों ने ही इस साल कई चुनौतियों का सामना किया है।
- इन दोनों ने कई गैर-चीनी वाहन निर्माताओं की तरह ही चीनी बाजार में काफी संघर्ष किया है, जो कारों के लिए दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है। हाल में चीनी ग्राहक विदेशी कंपनियों की तरफ आकर्षित हुए थे, लेकिन अब वह फिर से घरेलू कंपनियों की तरफ रुख कर रहे हैं। बाहरी कंपनियों के मुकाबले चीन की घरेलू कंपनियां अपने देश में बेहतर कीमत पर कारों को ऑफर करती हैं।