जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा- कुछ लोग पत्थर फेंककर सोचते हैं कि हम कोर्ट की कार्यवाही को रोक देंगे। पत्थर फेंकने से अदालत की कार्यवाही नहीं रुकती है। 78 साल में एक भी उदाहरण बता तो कि पत्थर फेंकने से कोर्ट की कार्यवाही रुकी हो।उन्होंने कहा- केवल मौखिक रूप से नहीं बल्कि इतिहास में दर्ज है कि बहुत सारे मंदिरों को तोड़कर मस्जिद के रूप में परिवर्तित कर दिया गया। अब ये बात जब हिंदू लड़का पढ़ता है तो उसके मन में पीड़ा होती है कि हमारे मंदिरों के साथ अत्याचार हुआ है।उत्तराखंड के बद्रिकाश्रम में ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद शनिवार को धौलपुर जिले के राजाखेड़ा में धर्मसभा में पहुंचे। इस दौरान शंकराचार्य ने वहां मौजूद लोगों के सवालों के जवाब दिए। उन्होंने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार, गोवंश और गुरुकुल व्यवस्था को लेकर भी अपने विचार रखे। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा- बहुत सारे मंदिरों को तोड़कर मस्जिद में परिवर्तित कर दिया गया। अब ये बात जब हिंदू लड़का पढ़ता है तो उसके मन में पीड़ा होती है कि हमारे मंदिरों के साथ अत्याचार हुआ। इसी तरह जब इस इतिहास को मुस्लिम बच्चा पढ़ता है तो उसे भी पीड़ा होती है कि पता नहीं ये बात सही है या गलत है। अगर सही है तो हमारे पूर्वज बड़े अत्याचारी थे। ऐसा सोचकर उसे दुख होता है। अगर वह मानता है कि यह सब झूठ है तो उसका निराकरण नहीं होने की वजह से उसे दुख होता है।